________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [233 AwarerararararararararSSNR N r देवजीर सुखदास सु अक्षत, उज्वल जलसों धोय बनाय। हाथ जोड़ श्री जिनवर आगे, पुंज मनोहर दीजो जाय॥ विद्युन्माली. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ कमल केतकी जुई चमेली, श्री गुलाब सुन्दर महकाय। श्री जिनवरके सन्मुख लेकर, पूजत भविजन भक्ति बढ़ाय॥ विद्युन्माली. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं // बावर घेवर मोदक खाजे, ताजे गोझा तुरत बनाय। क्षुधा निवारन शिवसुख कारण,श्रीजिनचरन चढ़ावत आय॥ विद्युन्माली. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ जगमग जोती होत दीपककी ऐसे मणिमई जोत जगाय। जिनवर चरन हरन दुःख संकट, तिनको पूजत शीश नवाय॥ विद्युन्माली. // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपं॥ अगर कपूर धूप दश विधकी, खेवत जिन आगै हरषाय। फैली सरस सुगंध दशों दिश, कर्मन पुञ्ज सु देत जलाय॥ विद्युन्माली. // 8 // ॐ ह्रीं. // धूपं॥ श्रीफल अर बादाम छुहारे पिस्ता लौंग लायची लाय। चरनकमल पूजत जिनवरके, शिवफल पावत कर्म खिपाय॥ विद्युन्माली. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल फल अर्घ बनाय गाय गुण श्री जिनवर पद पूजत आय। ताल मृदंग साज सब बाजत, लाल सदा तिनकी बल जाय॥ विद्युन्माली. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ //