________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [207 = = == = == = === == केसर अरू करपूर मिलाकर, चंदन घसकर लावो। भव आताप निवारन कारण, श्रीजिन पूजन जावो॥ ___ वो जिन. मंदिर मेरु. // 3 // ॐ ह्रीं. // चंदनं॥ देवजीर सुखदास सु अक्षत, सुन्दर धोय धरीजै। षोड़स पुंज देत जिन सन्मुख, परम अखैपद लीजै॥ वो जिन. मंदिर मेरु. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ कमल केतकी जुही चमेली, श्री गुलाब ले आवो। मदन वानके नाशन कारण, श्री जिन चरण चढ़ावो॥ वो जिन. मंदिर मेरु. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं॥ फेनी घेवर मोदक खाजे, ताजे तुरत बनावो। क्षुधा रोग निरवारन कारण, श्री जिन चरण चढावो॥ वो जिन. मंदिर मेरु. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ मणिमई दीप अमोलिक लेकर कनक रकाबी डालो। मोह तिमिरके नाशन कारण जगमग जोत दिवालो॥ वो जिन. मंदिर मेरु. // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपं // कृश्नागर करपूर मिलाकर, धूपाइन धर खेवो। अष्ट कर्म इंधर जारनको, श्री जिनवर पद सेवो॥ वो जिन. मंदिर मेरु. // 8 // ॐ ह्रीं. // धूपं॥ श्रीफल लौंग सुपारी पिस्ता, दाख बदाम सु लावो। श्री जिन चरण चढ़ावत भविजन, मोक्ष महाफल पावो॥ ___ वो जिन. मंदिर मेरु. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल फल अर्घ बनाय गाय गुण, श्री जिन सन्मुख हुजो। बल बल जात लाल चरणनपर, निज अनुभव रस पीजो॥ वो जिन. मंदिर मेरु. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ॥