________________ 202] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ធផលនៅសល ផ លធននននន मलयागिर करपूर सु चंदन, डारत के सर रंग भरी। श्रीजिन चरण चढ़ावत भविजन, भव आताप सु दूर करी॥ श्री मंदिर. // 3 // ॐ ह्रीं. // चंदनं // देवगीर सुखदास सु अक्षत, पाशुक जलसे धोय धरे। श्री सर्वज्ञ देवके सन्मुख पुंज देत सुन्दर सुथ रे // श्री मंदिर. // 4 // ॐ ह्रीं. ॥अक्षतं॥ कमल केतकी जुही चमेली, श्री गुलाबके फूल हरे। पूजत श्री जिनराज चरनको, यातें भवदधि पार तरे॥ श्री मंदिर. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं // बावर घेवर मोदक खाजे, ताजे तुरत बनावत हैं। क्षुधा रोगके दूर करनको, श्री जिन चरन चढ़ावत हैं। श्री मंदिर. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ मणिमई दीप अमोलक लेकर, जगमग जोत सु होत खरी। करत आरती श्रीजिन सन्मुख मंगल दर्व जहां सु धरी॥ __ श्री मंदिर. // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपं॥ अमर कपूर सुगन्ध सुदसविध, श्रीजिन चरण सुखेवत हैं। श्री अरहन्त जिनेश्वरके पद, भविजन निशदिन खेवत हैं। श्री मंदिर. // 8 // ॐ ह्रीं. ॥धूपं॥ श्रीफल लौंग छुहारे पिस्ता दाख मनोहर लावत हैं। श्री जिनपूजा करत सु भविजन, मोक्ष महाफल पावत हैं। श्री मंदिर. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल फल वसु विध दर्व सु लेकर, सुन्दर अर्घ बनावत हैं। श्री जिनचरन चढ़ाय लाष मन, लाल सु मंगल गावत हैं। श्री मंदिर. ॥१०॥ॐ ह्रीं. ॥अर्घ॥