________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [201 SNNISESHISHESARSONNESSASNNN अथ मंदिरमेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी आठ वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 38 ___ अथ स्थापना-अडिल्ल छन्द कंचन वरन सु मंदिर मेरू प्रमानिये, ताकी पश्चिम दिशमें सुरपुर जानिये। आठ महा वक्षार सुगिर सौहैं तहां। तिनपर कूट विशाल सु जिनमंदिर जहां // 1 // दोहा-सुर विद्याधर हरष धर, श्री जिन पूजन जाय। हम आह्वानन विध सहित, निज धर पूजत पाय॥२॥ ॐ ह्रीं मंदिरमेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी आठ वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं, स्थापनं। अथाष्टकं-कुसुमलता छन्द परम सु पावन उज्जल जल ले, श्रीजिन चरन चढ़ावत हैं। ताल मृदंग बजावत सब मिल, जिन गुण मंगल गावत हैं / / श्री मंदिरकी पश्चिम दिशमें, वसु वक्षार सु राजत हैं। तिनपर कूट तहां जिनमंदिर, तहां जिनराज विराजत हैं। ____ॐ ह्रीं मंदिरमेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी शब्दवान // 1 // विजयवान॥२॥ आसीविष॥३॥ सुखावह // 4 // चन्द्र // 5 // सूर्य॥६॥ नाग॥७॥ देवनाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥८॥ जलं॥