________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [193 NaraharNaaraaNNNNNritaisriram देवजीर सुखदास मनोहर, उज्वल अक्षत लीजै। देख जिनेश्वरके पद पंकज, पुंज मनोहर दीजै // जंबू शालमली. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ कमल केतकी बेल चमेली, फूल सुगन्धित लइये। श्री जिन चरण चढ़ावत भविजन, आनंद मंगल गइये॥ ___ जंबू शालमली. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं॥ फेनी घेवर मोदक खाजे, ताजे तुरत बनाइये। क्षुधा रोगके नाशन कारण, श्री जिनचरण चढाइये। जंबू शालमली. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं // कनक थालमें मणिमई दीपक, जगमग जोत परजारो। जाय जिनेश्वर सन्मुख लेके, चरन कमलपर वारो॥ जंबू शालमली. // 7 // ॐ ह्री. // दीपं॥ दस विध धूप सुगंधित लैके, जिनवर आगे खेवो। जनम जनम अघ नाशन कारण, श्री जिनवर पद सेवो॥ जंबू शालमली. // 8 // ॐ ह्रीं. // धूपं॥ श्रीफल अरु बादाम छुहारे, पिस्ता लौंग मिलावो। शिव फल पावन दुःख नशावन, श्री जिनचरण चढ़ावो॥ ___ जंबू शालमली. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ वसु विध दर्व मिलाय मनोहर, अर्घ बनाय चढ़ावो। ताल मृदङ्ग साज सब बाजत, सुरनर मिल गुण गावो॥ जंबू शालमली. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ॥