________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [189 ले सुगंध२ अवार जू, जिन सु पूजत चंदन गार जू। ___ मेरुमंदिर.॥३॥ ॐ ह्रीं. ॥चंदनं // परम उज्वल अक्षत लीजिये, पुंज श्रीजिन सन्मुख दीजिये। मेरुमंदिर.॥४॥ ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ सरस सुन्दर फूल मंगायके, जिन सु पूजत चरण चढायके। मेरुमंदिर.॥५॥ ॐ ह्रीं. // पुष्पं // मन हरण नैवेद्य बनायके, जिनचरण भवि पूजो लायके। मेरुमंदिर.॥६॥ ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं // दीप मणिमई जोत जगायके, जिनचरण भवि पूजो जायके। मेरुमंदिर.॥७॥ ॐ ह्रीं. // दीपं / / अगर धूप मनोहर खेइये, मन लगाय सु जिनपद सेइये। ___ मेरुमंदिर.॥८॥ ॐ ह्री. ॥धूपं // फल मनोहर उत्तम लाइये, जिन सु पूजत शिवफल पाइये। मेरुमंदिर.॥९॥ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल सु फलवसुदर्व मिलायके, अर्घ देत सुजिनगुण गायके। मेरुमंदिर.॥१०॥ ॐ ह्रीं. ॥अर्घ॥ __ अथ प्रत्येकार्घ-अडिल्ल छन्द मंदिरमेरु विशाल अग्नि दिशमें कहा, नागदन्त सोमनस महां छवि है तहां। तापर श्री जिन धाम विराजत सार जू, पूजो अर्घ चढ़ाय हरष उर धार जू // 11 // ॐ ह्रीं मंदिरमेरुके अग्नि दिश सौमनस नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ //