________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [149 NRNATIOPORTANTANTNNNNNNNNN मुक्ताफल सम उज्जल अक्षत, सुन्दर धोय धरीजे। परम प्रीत उर लाय गाय गुण, पुंज मनोहर दीजे॥ अचलमेरु. // 4 // ॐ ह्रीं // अक्षतं॥ नानाविधके फूल मनोहर, सुरतरु सम ले आवो। श्री गुण गावत ताल बजावत, श्री जिनचरण चढ़ावो॥ अचलमेरु. // 5 // ॐ ह्रीं // पुष्पं // सरस मनोहर नेवज नीको, तुरत सुधीको कीजै। सुवरण थाल बीच सो धरके, श्रीजिन पूजा कीजै॥ अचलमेरु. // 6 // ॐ ह्रीं॥ नैवेद्यं॥ जगमग जोति होत दीपककी, ले जिनमंदिर जावो। करत आरती श्री जिनवरकी, हरस हरस गुण गावो॥ अचलमेरु. // 7 // ॐ ह्रीं // दीपं॥ कृश्नागर वर धूप दशांगी, खेवो अति बिहसाई। फैली सरस सुगन्ध दसों दिश, पूजत जिनवर भाई॥ अचलमेरु. // 8 // ॐ ह्रीं॥ धूपं॥ लौंग सुपारी पिस्ता चोखे, अरु बादाम मंगावो। शिवफल पावन कर्म नसावन, श्री जिनचरण चढ़ावो॥ अचलमेरु. // 9 // ॐ ह्रीं // फलं॥ जल फल अर्घ बनाय गाय गुण, जिनचरणन लौ लावो। लाल सदा बल जात प्रभुकी, जिन पूजत सुखपावो॥ अचलमेरु. // 10 // ॐ ह्रीं॥ अर्घ॥