________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [141 SararahararSNSararararararare नाम त्रिकूट सुहावने पंचम गिर वक्षार। तहां जिन बिम्ब निहारके, अर्घ जजू हित धार॥२४॥ ॐ ह्रीं अचलमेरुके पूर्व विदेह संबंधी त्रिकूट नाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥५॥ अर्घ // छट्ठम प्राच्य सुगिर बनो, जिनमंदिर रमणीक। तहां श्री जिनवर बिम्ब लख, अर्घ जजों शुभ ठीक // 25 // __ॐ ह्रीं अचलमेरुके पूर्व विदेह संबंधी प्राच्य नाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥६॥ अर्घ॥ . नाम वैश्रवण गिर महा, जिनमंदिर सुविशाल। अर्घ जजों वसु द्रव्य ले, मन वच तन भर थाल॥२६॥ ॐ ह्रीं अचलमेरुके पूर्व विदेह संबंधी वैश्रवण नाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥७॥ अर्घ // अंजनगिरि पर जिनभवन, श्री जिनभवन विशाल। वसुविध अर्घ चढायके, लाल नवावत भाल॥२७॥ ॐ ह्रीं अचलमेरुके पूर्व विदेह संबंधी अंजनगिर नाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥८॥ अर्घ // अथ जयमाला-दोहा अचलमेरु पूरव दिशा, वसु वक्षार विशाल। तिनपर जिनमंदिर जजों, अब वरनूं जयमाल // 28 // पद्धरि छन्द द्वीप धातुकी है धन्य, ताकी पश्चिम गिर अचल जन्य। जैं गिरकी पूरव दिश विशाल, जहां तीर्थंकर राजै त्रिकाल॥