________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [137 AarasharararareersarSahararawasa जै सिंहासन कमल ठान, तहां श्री जिनबिंब विराजमान। जै चौसठ चंवर अमर ढुराय, भामंडल छवि वरणी न जाय॥ सब प्रातिहार्य वर्णन विशाल, सुर विद्याधर पूजत त्रिकाल। गुणगान करैं बहुविध सुसार,फुनि नृत्य करें अद्भुत अपार॥ जै दुन्दुभि बाजै बजैं घोर सुर सप्त अरब बारह किरोर। जै प्रभुदर्शन देखें निहार मुख पाठ पढ़ें प्रभु तार तार॥ जै जै तुम परमातम सु देव, तुम चरणनकी हम करत सेव। हमपर किरपा कीजे दयाल, कर जोर सीस नावत सु भाल॥ जै जै तुम परमातम सु देव, जै जै जग तारनकी सु टेव। जै जै जिनवर करूणानिधान,जै तुम सब देव न और आन॥ घत्ता-दोहा जम्बू शालमली तनी, विविध चरण जयमाल। जौ वांचै मन लायकै, तिनके भाग विशाल॥२३॥ इति जयमाला। अथाशीर्वाद-कुसुमलता छन्द मध्यलोक जिन भवन अकीर्तम, ताको पाठ पढ़ें मन लाय। जाके पुन्यतनी अति महिमा, वर्णन को कर सकै बनाय॥ ताके पुत्र पौत्र अरु सम्पति, बालै अधिक सरस सुखदाय। यह भव जसपर भव सुखदाई, सुरनर पद ले शिवपुर जाय॥ इति आशीर्वादः . इति श्री अचलमेरु सम्बन्धी जम्बू शालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा सम्पूर्णम्।