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________________ काञ्चनाम्बुवहस्य च] लोकपादसूची [काद्रवेयाः समागताः काञ्चनाम्बुबहस्य च 5. 108. 10. काञ्चनासनमाद्दुः 2.328*. 1 post. काञ्चनाः काञ्चनापीडाः 7. 80. 40. काञ्चनी चैव या माला 13. 107. 776. काञ्चनीमिः सहस्रशः 8. 1208*. 3 post. काञ्चनीव व्यराजत 7. 114. 35d. काञ्चनीं शिरसा बिभ्रत् 3. 158. 38*. काञ्चनीं समवासृजत् 7. 130. 26. काञ्चने काञ्चनावृतः 7.60. 17. काञ्चनेन यमालयम् 14. App. 4. 822 post. काञ्चनेन विचित्रेण 14. App. 4. 1334 pr. काञ्चनेन विभूषिते 5. 180.74. काञ्चनेन विमानेन 3. App. 29. ll pr.' काञ्चनेन विराजता 14. App. 4. 1359 post. काञ्चने परमासने 2. App. 15. 162 post.; App. 30. 5 post. ; App. 36.9 post. 4. 498*.2 post. 5.56*. 3 post. काञ्चने प्राङ्मुखो हृष्टः 12. 40. 19. काञ्चने लोष्टके चैव 9. 49. 3. काञ्चने वाथ लोष्टे वा 12.215. 6. काञ्चने शयनोत्तमे 8. 69. 10. काञ्चनेषु तनुत्रेषु 6.55. 80. काञ्चने सर्वतोभद्रे 6. 93. 34. काञ्चनै राजतैश्चैव 1. 25. 30deg. काञ्चनैरिव संवृतम् 5. 19. 15. काञ्चनैर्गावाजितैः 4. 43. 9. काञ्चनैरवैरपि 5. 46.59. काञ्चनैर्मणिसोपानैः 2. App. 21. 1209 pr. काञ्चनैर्यज्ञभाण्डैश्च 12. 160. 35". काञ्चनैर्विमलैः पद्मः 3. 150. 250. काञ्चनैर्विविधैर्भाण्डः 8. 27. 9. काञ्चनैस्तापनीयैश्च 2. App. 15. 151 pr. काञ्चनैः कदलीपण्डैः 3. 146. 53". काञ्चनैः कवचैर्निष्कः 11. 16. 229. काञ्चनैः कवचैर्वीराः 6. 18. 8". काञ्चनैः काञ्चने पीठे 1. 126. 36deg. काञ्चनैः कुसुमैर्भान्ति 1. 26. 24deg. काञ्चनैः स्फटिकाकारैः 3. 157. 35deg. काञ्चनो देहनिष्क्रयः 12. App. 3. 80 post. काञ्चनोपलसंघातैः 9. 5. 11. काञ्चनो मणिरत्नवान् 7. 80. 16. काञ्चनौदुम्बरास्तत्र 12. 40. 100. काञ्चीनां च समुत्कर्षेः 13. 110. 62deg. काञ्चीनूपुरशब्देन 13. 109. 53*. काञ्जिकेनाप्यतः परम् 4. 657*. 1 post. काटिन्यं च ससर्ज ह 12. App. 26.45 post. काठिन्यं प्रसवात्मता 12. 247. 3. काण्डकोशानवार जत् 8. 12. 46. काण्डपृष्ठश्चिरं कालं 13. 29. 11. काण्डपृष्ठस्तथैव च 13. 90. *. काण्डपृष्ठाश्च देहिनः 3. App. 21A. 36 post. काण्डपृष्ठास्तु ते ज्ञेयाः 13. 253*. 2 pr. काण्डवैश्वानरा अपि 14. App. 4. 35 post. कातराणां तरस्विनः 12.112. 58. का तस्या भगवन्माता 9. 47. 56deg. का तं न वरयेत्पतिम् 3. App. 8. 4 post., 6 post., 8 post. का ते प्रज्ञा कुतश्चैषा 12. 222. 50. का तेषां गतिरुत्तमा 12. 322. 136. का तैले का घृते ब्रह्मन् 12. 254. 41. कात्यायनि महाभागे 6. App. 1. 11 pr. कात्यायनोऽथ नमुचिः 13. App. 11. 474 pr. का स्वरा मरणे पुनः 3. 264. 274. का स्ववस्था तयोरद्य 3. 281. 84". का त्वं कथं रोदिषि कस्य हेतोः 1. 189. 12. का त्वं कदम्बस्य विनम्य शाखां 3. 249. 1". का त्वं कमलगर्भाभे 2. 16. 51". का त्वं कस्यासि कल्याणि 4. App. 12. 1 pr.. का त्वं किं च चिकीर्षसि 3.61. 674.4.8. 30,74. का त्वं केन च कार्येण 12. 221. 180. का त्वं क्व च गमिष्यसि 13. 81.5. का त्वं ताम्रनखी श्यामा 1.73. 176. का त्वं तिष्ठसि मायेव 12. 218. 60. का त्वं परमकल्याणि 12. App. 15. 90 pr. का त्वं बलेरपक्रान्ता 12. 218. 5. का त्वं ब्रूहि यथा भद्रे 4.8. 136. का त्वं ब्रूहि वरानने 5. 14. 2". का त्वं सर्वानवद्याङ्गी 4. App. 6. 43 pr. कादम्बकारण्डवहंसजुष्टाः 3. 161.5. कादम्बाः सारसा हंसाः 1. App. 87. 15 pr. का दिक्किमुदकं प्रोक्तं 3. 297. 60". का देवरूपा हृदयंगमा शुभे 4. 13.7. कावेया महाबलाः 1. 59. 40". काद्वेया वैनतेयाः 1. 114. 40deg. कागवेयाश्च किंनराः 13. App. 15. 2745 post. काद्रवेयाश्च सान्वयाः 8. 63. 36". काद्रवेयाः समागताः 1. 33. 10'. पादसूची-87 - 689 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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