________________ कथंचिदपि विद्यते] महाभारतस्थ [कथं तस्मै न दास्यामि कथंचिदपि विद्यते 7. 86. 324; 1124*. 1 post. कथंचिदपि शत्रुहन् 3. 158. 484. कथंचिदपि सात्वत 7.60. 32. कथंचिदप्यतीव हि 1. 26*.2 post. कथंचिदमिवर्तन्ते 12. 187. 339, 35deg ; 239. 25deg. कथंचिदवहश्रान्ताः 7. 162. 19. कथंचिदिति मे मतिः 15. 9. 24. कथंचिदूहतुर्वीरौ 13. 53. 42. कथंचिहणं गतः 3. 176. 16. कथंचिद्दशमे पदे 6. 102. 64". कथंचिद्धंसमन्वगात् 8. 333*. 3 post. कथंचिद्भूतिमिच्छता 12. 83. 27. कथंचिद्योगिनां वराः 13. App. 15. 4309 post. कथंचिद्यौवनं गतः 12. 590*. 4 post. कथंचिद्वर्तते सम्यक् 12. 212. 39". कथंचिद्वायुनामयः 3.211. 24deg. कथंचिद्विरथं कृत्वा 7. 1068*. 1 pr. कथंचिद्वैश्यधर्मेण 12. 79. 1. कथंचिनावमन्तव्याः 13. App. 15. 3037 pr., 3301 pr. कथंचिनिययौ धीमान् 2. App. 43. 33 pr. 15.22.2. कथंचिनोपपद्यते 13. 38. 22. कथं चेदं महत्कृच्छ्रे 3. 60. 29deg. कथं चेह महाफलम् 13. 66.2. कथं चैकः स वैश्यायां 1. 107. 4". कथं चैतत्समुत्पनं 13. 97. 1. कथं चैतन्महायुद्धं 8. 31. 7. कथं चैतां परां काष्ठां 3. 126. 1" कथं चैव तदुच्यते 12. 156. 24. कथं चैव विवधते 6. 89*. 1 post. कथं चैवाग्निमारुतौ 12. 176.5%. कथं चैवातिथिप्रियः 13. 93.94. कथं चैवोपपद्यते 14.17.2. कथं चैश्वर्यविभ्रष्टाः 3. 1. 3".. कथं चैषां तथा युद्धे 7. 97.2". कथं चोत्पादितः खङ्गः 12. 160.6%. कथं छादितवत्यसि 11. 27. 154. कथं जयेम धर्मज्ञ 6. 103. 58*. कथं जयेयं संग्रामे 6. 41. 40", 56. कथं जातो महाब्रह्मन् 3. 126.1... कथं जानीम भवतः 1. 187. 2. कथं जायान्ममोदरे 3. 13. 620. 4. 405*. 2 post. कथं जिता निकृत्या सा 13. App. 1A. 176 pr... कथं जित्वा पुन!यं 2. 173*. 1 pr. कथं जिष्णुर्महाबलः 3. App. 31. 14 post. कथं जिष्णुश्चरिष्यति 3. 36. 248. कथं जीवति दुर्धर्षे 7. 120. 18. कथं जीवति पाण्डवः 11. 20. 196. कथं जीवामि निहतान् 8. 595*. 4 pr. कथं जीवितमाप्तवान् 3. 182. 15. कथं जीविष्यते सुतः 13 App. 20. 91 post. कथं जीवेत मद्विधः 7.57. 124. कथं जीवेत मादृशः 7. 85. 794. कथं जीवेयुरत्यन्त 3. 10. 22". कथं जेष्यसि पाण्डवम् 5. 137. 194, 20f. कथं जेष्यसि संग्रामे 4. App. 39. 2 pr. कथं ज्ञातानि भवता 4.727*. 2 pr. कथं ज्ञानमिह स्मृतम् 13. App. 15. 2384 ( subst.) 1 post. कथं ज्ञास्यन्ति विविधं 13. App. 15.3465 pr. कथं ज्ञास्यसि कथ्यताम् 1. App. 35. ll post. कथं ज्ञास्यसि शोभने 10. 11. 194. कर्थ ज्ञास्याम्यहं फलम् 12. 192. 54 . . कथं ज्ञेयः प्रसन्नो वा 13. App. 4. 6 pr. कथं ज्ञेया जगन्नाथ 12. App. 31. 22A 1 pr. कथं ज्यायस्तमो हि सः 13.138. 17'. कथं ज्येष्ठानतिक्रम्य 1. 80. 15. कथं तकिल्बिषं कृत्वा 7. 61. 2. कथं तत्प्राप्यते शीलं 12. 286*. 1 pr. कथं तत्र निवत्स्यसि 4. 66*. 1 post. कथं तत्सुकृतं भवेत् 13. 23. 16. कथं तदमृतं देवैः 1. 15.4". कथं तदल्पकालेन 5. 121. 12". कथं तदुपलक्षयेत् 12. 238.7% कथं तद्गोकुलं गत्वा 13. App. 20. 103 pr. कथं तद्धर्ममारभेत् 12. 8. 26deg. कथं तद्राह्मणैर्देव 14. App. 4.2544 pr. कथं तन मृषेह स्यात् 14.77.8. कथं तन्मे च वा विभो 8. 428*. 1 post. कथं तन्मे वदामिभो 6. 103. 58*. कथं तमजितं युधि 6. 15. 10. कथं तव कुलस्यैकाम् 1. 146. 14". कथं तव कृतं पक्षः 1. App. 86. 48A 2 pr. .. कथं तव सुदुर्बुद्धे 5. App. 13. 8 pr. .. कथं तस्मात्समुत्पन्न: 12. 10. 19%. कथं तस्मिन्क्षीणपुण्या भवन्ति 1.85.3*. कथं तस्मै न दास्यामि 1. App. 60.8 pr. -618 -