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________________ कथं च बहुलाः सेनाः] श्लोकपादसूची [कथंचिदपि वर्तन्ते कथं च बहुलाः सेनाः 1. 56. 10". कथं च बालस्य सतः 12.310.30 कथं च भगवम्भूयः 13. App. 15. 1035 pr. कथं च भगवान्स्थाणुः 3. 39.3deg.. कथं च मम पुत्राणां 7. 97.4". कथं च मां न जह्यास्त्वं 12. 218. 11'. कथं च मेदिनी सृष्टेति 12. 176. 5. कथं च मोक्षः कर्तव्यः 12. 313. 13. कथं च याजयामास 9. 220*. 1 pr.. कथं च युद्धं भूयोऽभूत् 7. 108. 4. कथं च युध्यमानानां 7. 100. 4. कथं च युयुधे भीमः 7. 837*. 1 pr... कथं च राजपुत्री सा 3. 1. 69. .. कथं च राजा वर्तेत 12. 139.8% कथं चलं वेत्स्यसि त्वं 13. 98. 4. कथं च लोकानमाति 12. 127. 80... कथं च वर्तते चाद्य 15. 45. 80... कथं च वर्तमाना वै 5. 151. 2.. कथं च वर्तमानो वै 3. 189. 20. कथं च वशगास्तुभ्यं 3. 222. 4... कथं च वः कृतास्त्राणां 7.50. 730. कथं च वः समेतानां 8.5. 103. 9. 2. 61". कथं च वो मनस्तात 7. 172*. 1 pr... कथं च वो रथस्थानां 7.50.75% कथं च शक्यमस्मामिः 14.5.2. . कथं च शतधा जिह्वा 7. 169. 10 .. कथं च शप्तस्य सतः 1. 107.5%.. कथं च शप्तो भ्राता मे 12. 1. 43.1 कथं च सदृशी भार्या 1. 107. 4"... कथं च स महीपाल: 15. 29..:..... कथं च सर्पतां यातः 3. 888*. 1 pr. कथं च सात्यकियुद्धे 7. 97. 3. कथं च सुमहातपाः 9. 35. 5.. कथं च स्यादिहेश्वर 13. 71..111. . कथं चागारकुरूम्ब्रह्मन् 1. 1331*.2.pr. कथं चाग्निं जुहुयां पूजये वा, 3. 184. 3*.. कथं चातिरथस्तेन 6. 15. 19 . . कथं चानिन्द्रतां प्राप्तः 13..103. 1. : कथं चानुचरान्हित्वा 3:255. 58. कथं चानुचरांस्त्यक्त्वा 4.599*. 4 pr. कथं चान्योन्यमन्नताम् 1. 200. 21.. कथं चापि समुत्पन्नः 1. App. 79. 149 pr. कथं चाप्यङ्गिराः पुरा 3. 207.2%. ....... पादसूची-78 कथं चाप्युशना प्राप 12. 278.4". कथं चाभ्यागता वनम् 3.60. 29. कथं चार्य जितो लोकः 3. 957*.2pr. कथं चारं प्रयुञ्जीत 12. 69.2". कथं चासि न लक्षितः 3. 52. 20%. कथं चासि समागतः 2. 11. 50*. कथं चास्त्राण्यवाप्तवान् 1. 120. 10; 1331*. 1 post, कथं चास्त्राण्यवाप्तानि 3. 163. 3. कथं चास्य समुत्पत्तिः 13. 6. 26deg. कथं चास्य सुतो जातः 1. 1331*. 3 pr. .. कथंचिच्छक्ततां गतः 12.220. 22. कथंचिच्छिद्यते गृधैः 11. 19. 3deg. कथंचिच्छ्रान्तवाहनः 9. 24. 50'. कथंचिज्जीवितास्त्वया 1. App. 105. 4 post. कथंचित्कालपर्ययात् 13. App. 15. 4650 post. कथंचित्कुरुजाङ्गलम् 1. App. 114. 109 post.. कथंचित्तक्षको मुक्तः 15. 43. 14 . . कथंचित्तस्कृतमपि 13. App. 15. 2817 pr. कथंचित्तव गाङ्गेय 1. 94. 58deg.. कथंचित्तस्य शासनात् 1. 138. 280.. कथंचित्त्वयि वैतेन 3.72. 13. कथंचित्पन्नगोत्तम 1. 49. 23. कथंचित्पर्यवस्थिते 1. 125. 18. कथंचित्पाण्डवानीकं 7. 10. 296. कथंचित्पुनरुत्पद्य 13. App. 15. 2777 pr. :: कथंचित्प्रग्रहं गताः 3. 37. 26. .. कथंचित्प्रतिबाधितुम् 3. 175.21".. कथंचित्प्राप्य पण्डितः 13. App. 15. 1549 post. कथंचित्प्राप्य मानुषम् 13..App. 15. 1992 post..... कथंचित्प्राप्य मानुष्यं 13. App. 15. 1678 pr., 1773 pi. ___1814 pr., 1938 pr, , 2026 pr., 2056 pr. . . कथंचित्प्रेक्षतो मम 8. 34. 61.. कथंचित्समजीवितः 1.700*. 9 post. ... कथंचित्संकटान्मुक्तः 7. 165.886... कथंचित्संशितव्रतः 7. 1783*. 1 post. कथंचित्स्युः परामुखाः 8. 51.95.. . कथंचिदनुगम्यते 13. App. 3A. 190 post. . कथंचिदपि चिन्तयन् 12. 1. 42d. . . कथंचिदपि पाण्डवैः 9.7.8.. . कथंचिदपि पार्थिव 1. 187. 30"..... कथंचिदपि भामिनि 5. 177... कथंचिदपि भारत 7. 654*. 1 post. 12. 128. 45'.: कथंचिदपि वर्तन्ते 12.212. 28deg.. .. .. .. . - 617 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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