________________ उत्सारयत तानिति ] श्लोकपादसूची [ उत्सृज्य समरे द्रोणं उत्सारयत तानिति 3. 229. 226. उत्सारयन्तः प्रभया 7. 159. 45*. उत्सार्य जलमन्तिकात् 3. 293. 5. उत्सार्यमाणो वाक्यमिदं जगाद 3. 132. 200. उत्साहप्रभुशक्तिभ्यां 15. 12.6%. उत्साहयोगेन च पादमृच्छेत् 5. 289*. 3. उत्साहवन्तः पुरुषाः 2.430*. 1 pr. उत्साहवान्महावीर्यः 4. 505*. 3 pr. उत्साहश्च कृतो नित्यं 9.64, 25% उत्साहश्चानहंकारः 12.221. 45. उत्साहश्चापि यत्नेन 1. App. 81. 162 pr., 171 pr. उत्साहश्चैव तात्रिकः 12. 166*. 2 post... उत्साह भरतर्षभ 9. 30. 43. उत्साहः शस्त्रजीवित्वं 13. App. 15. 501 pr. उत्साहाच्चानुमीयते 1. 179. 10. उत्साहामर्षचेष्टितैः 3. 245. 74.. उत्साहिनः पूरयतः स्वकर्म 5. 29. 4. उत्साह्य प्रियदर्शने 15. 22. 20. उत्साः पुलिन्दाः शबराः 12. 200. 39. उत्सिताः पाण्डवा नित्यं 1. App. 81.5 pr. उत्सिसृक्षन्तमाज्ञाय 13. App. 1A. 395 pr. उत्सीदन्ति स्वधर्माश्च 12. 230. 16". उत्सीदन्ते सयज्ञाश्च 12. 224. 66. उत्सीदेयुरिमे लोकाः 1. 403*. 1 pr. 6. 25. 24". उत्सीदेरन्प्रजाः सर्वाः 3. 33. 10. उत्सुका नगरं द्रष्टुं 1. 198. 22. उत्सूर्यशायिनश्चासन् 12. 221. 630. उत्सृजद्वारि नेत्रजम् 5. 80. 43. उत्सृजवं महावीर्यान् 3. 233. 13". उत्सृजन्कौरवं प्रति 2. 555*. 1 post. उत्सृजन्तं तु तं रेतः 1. 98. 12. उत्सृजन्ती पुनः पुनः 5. 174. 24. उत्सृजन्ते न कर्मणा 13. 6. 41. उत्सृजन्ते पुनः पुनः 4.799*. 3 post. उत्सृजन्तो महारथाः 3. 295. 13.. उत्सृजन्तो रणार्थिनः 1. 218. 234. उत्सृजन्तो विषं घोरं 1. 218. 21. उत्सृजन्तौ महेष्वासौ 7. 135. 38. उत्सृजन्परिगृहंश्च 12. 308. 44. उत्सृजन्भरतर्षभ 3. 296. 29. उत्सृजश्चाब्रवीन्मैवं 8. 348*. 1 pr. उत्सृजाम्येव वै प्राणान् 7. 1328*. 1 pr. उत्सृजेयमहं प्राणान् 1. App. 57. 26 pr. उत्सृजेयमहं युधि 7. 12.8.. उत्सृजेयं यथाश्रद्धं 8. 23. 53% App. 5. 57 pr. उत्सृजेल्लोकनाशनम् 3. 30, 3.. उत्सृजैतद्रथानीकं 4.885*. 17 pr. उत्सृजैनमहं वैनं 7. 169. 59. उत्सृज्य कण भीमं च 7. 113. 12. .. उत्सृज्य कवचानन्ये 7. 165,84. उत्सृज्य कार्मुकं राजन् 6. App. 4. 198 pr. उत्सृज्य गाः सुसंत्रस्तं 5. 63. 14... उत्सृज्य च महाबाहुः 4.54. 19". उत्सृज्य च रणे शस्त्रं 7. 165. 350. उत्सृज्य चापानि दुरासदानि 4. 61. 11: उत्सृज्य चैव तं गर्भ 1. 8.7". . . उत्सृज्य तान्सौबलमेव चायं 5. 2. 10. उत्सृज्यतां चित्रसेन 3. 235.8". उत्सृज्य तुरगान्केचित् 6. 100.5*. , . उत्सृज्य तु शुभं देहं 9. 47. 55 . . उत्सृज्य ते गदाशूलान् 3. 157. 51". . उत्सृज्य दमयन्तीं तु 3. 63. 1". उत्सृज्य धर्मराज्यं ते 4. 726*. 1 pr. उत्सृज्य नास्तिकगति 12.11.270. उत्सृज्य पक्षी प्रपतत्यसक्तः 12. 212. 49. उत्सृज्य प्रामुयात्सुखम् 12. 208. 14. . उत्सृज्य फलपत्राणि 13. 5. 5. उत्सृज्य बाणांश्च धनुश्च चित्रम् 4.61. 21". उत्सृज्य बाष्पं शनकैः 3. 66. 11'. उत्सृज्य रजतप्रख्यान् 6. 102. 53. उत्सृज्य रथवंशं तु 4. 48. 14. उत्सृज्य रथिनां वरम् 7. 106. 17. उत्सृज्य राक्षसं रूपं 1. 1521*.2 pr., उत्सृज्य राजानमनन्तवीर्यः 6. 81. 11. उत्सृज्य राज्यं भैक्षार्थ 12. 18. 30.. उत्सृज्य वरयेदन्यं 3.74. 21. . उत्सृज्य वा गृहान्यस्तु 5. App. 3. 36 pr. उत्सृज्य वाहान्समरे 7. 146. 40%.. उत्सृज्य विनिवर्तन्ते 5. 40. 16. उत्सृज्य विपिने सुप्तां 3. 67. 9deg; 72. 18deg ; 281*. 2 pr. . उत्सृज्य शतमाचार्यान् 12. 211. 18. उत्सृज्य शतशो वाहान् 7. 136. 19". उत्सृज्य शत्रून्विनिवर्तमानम् 4. App. 57. 2. उत्सृज्य शस्त्रावरणं : 13. App. 1A. 380 pr.. उत्सृज्य समरे तूर्ण 6. 45. 550. उत्सृज्य समरे द्रोणं 6.78. 23deg. - 453 -