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________________ उग्रायुधो महेष्वासः] श्लोकपादसूची [ उच्चैर्वृत्तेः श्रियो हानिः उग्रायुधो महेष्वासः 5. 163. 19. उग्रायैव हि सृष्टोऽसि 12. 140. 24deg. उग्रा वैदेहकास्तथा 12. 285.8. उग्राश्च क्रूरकर्माणः 8. 51. 18". उग्रास्त्वद्वाहुनिर्मुक्ताः 8. 775*. 5 pr. उग्रास्त्वद्भुजनिर्मुक्ताः 8.51. 85deg. . उग्रां नानाप्रहरणां 9. 45. 43deg. उग्रां बुद्धिं समास्थितम् 6. 63. 12. 12. 200. 15. उग्राः सत्यपराक्रमाः 13.33.7d. उने कर्मणि धिष्ठितः 7. 121. 44. उग्रे कर्मणि वर्तताम् 13. 83. 36deg. उग्रे कर्मणि सृष्टोऽसि 12. 140. 32. उप्रेण तपसा तेन 1. 207. 18%. उग्रेण तपसा युक्ता ll. 16. 2. उग्रेण भरतर्षभ 3. 38. 11. उने तपसि दुष्पारे 3. 39. 26deg. उने तपसि वर्ततः 1. 1095*. 2 post. उग्रे तपसि वर्तते 1. 65.244. उने तपसि वर्तन्तं 1. 42. 12. 5. 175. 1. उग्रे तपसि वर्तन्ते 5. 100. 6. उप्रै कम्पयद्विट्वा 7. 46. 15. उप्रैनित्यमनाष्य 1. 19. 4". उग्रैर्बाणैराहवं घोररूपं 8. 54. 17. उग्रो भीमरथो भीमः 6. 60. 250. उग्रो भीमरथो वीरः 1. 108. 12deg ; App. 41. 24 pr. उग्रो भूत्वा मृदुर्भव 12. 140. 316. उग्रो राजा युधिष्ठिर 12. 103 33. उग्रो वंशकरो वंशः 13. 17. 976. उचितत्वं प्रियत्वं च 1. 196.6". उचितश्चैव संबन्धः 1. 213. 60. उचितस्त्वं वने भीम 7. 114.73. उचितं नः कुले किंचित् 3. 115. 11. उचितं नः कुले तात 15.5.21%. उचितं शौचकर्मणि 3. 135. 31. उचितं हि कुलेऽस्माकं 15. 6. 16. उचितं हि सदा गन्तुं 3.227.20deg. उचिता यस्य या भृतिः 3. 90. 20. उचिता वसतां वने 3. 166*. 2 post. उचिताश्चैव संबन्धे 1. 103. 6. उचितेनैव भोक्तव्याः 12.89. 80. उचितेभ्यो निवर्तयेत् 13. App. 15. 3899 post. उच्चकर्त शिरांस्युग्रः 7. 95. 34deg; 492*. 1 pr. उच्चकर्त सकार्मुकम् 7. 24. 17. उच्चपर्वतमारुह्य 14. App. 2. 16 pr. उच्चप्राकारतोरणम् 5. 192. 21. उच्चमध्यमनीचानां 12. 295. 30deg. उच्चमुच्चैरुदीरयन् 1. App. 72. 36A 3 post. उच्चरन्ती पुनः पुनः 4. App. 50. 17 post. उच्चस्य नीचेन हि संप्रयोग 12. 115. 18. उच्च पर्वतमारुह्य 14. 49. 23deg. उच्चं पर्वतमारूढः 5. 141. 320. उच्चाच पतनं तथा 12. 28. 25*. उच्चारितं मे मनसोऽभिषङ्गात् 5. 30. 16. उञ्चावचकरा न्याय्याः 12.88. 130. उच्चावचमुपादाय 2. 30. 13%; App. 18. 12 pr. उच्चावचं दैवयुक्तं रहस्यं 5. 47. 93". उच्चावचं पार्थिव भोजनीयं 1. 186. 13". उच्चावचं बलं ज्ञात्वा 4. 28. 10%. उच्चावचं विषयं यः स वेद 12. 288. 344. उच्चावचा निपेतुर्वै 7. 172. 22. उच्चावचानि मांसानि 12. App. 28. 102 pr. उच्चावचानि रूपाणि 7. 83. 276. उच्चावचानि वृत्तानि 12. 97. 22". उच्चावचानुपग्राहान् 2. 48. 34. उच्चावचान्मृगाअनुः 4.67.27%. उच्चावचा मतयो ब्राह्मणानाम् 5.29.5. उच्चावचाश्च बहवः 1. 47. 25deg. उच्चावचास्तथा वाचः 7. 83.27. उच्चावचांस्तथा भक्ष्यान् 9. 36. 19. उच्चिक्षेप पुनर्दोभ्यो 3. 147. 18". उच्चुक्रुशुश्च कौरव्याः 3. 230. 20deg. उच्चुक्रुशुश्च तेऽन्योन्यं 3.768*. 1 pr. उच्चुक्रुशुस्ततः सर्वे 6. App. 4. 225 pr. उच्चुकुशुस्तथान्योन्यं 7.72. 20. उच्चमधुरा वाचः 12. 53. 6. उच्चैरनुपमैः स्निग्धैः 5. 119. 27deg. उच्चैरव्यञ्जिताक्षरम् 13. 84. 374. उच्चैराकाशमार्गेण 3. 237. 4. उच्चैरिदमभाषत 7. 165. 116. उच्चैरुञ्चारयन्वचः 5. 120. 3. उच्चैगिरी रैवतकः 6. 12. 16". उच्चै हुरप्सरसो दिवानिशं 16. 4. 5. उच्चै दन्तं बलवन्तमाजौ 4. App. 54.7. उच्चैननादाथ समस्तयोधान् 8. App. 32. 14. उच्चैर्वाचः स्म मेनिरे 7. 16. 28. उचैर्वत्तेः श्रियो हानिः 12. 131.5*. . .. . -489
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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