________________ इति स्वमनुपश्यसि] श्लोकपादसूची [इति न्यनम्सहस्रशः इति त्वमनुपश्यसि 12. 261. 35". इति त्वमपि जानीहि 14. 30. 30%. इति त्वं न बिभेषि च 5. 159. 84. इति त्वामाह द्रौपदी 2. 60. 80. इति त्वा लक्षयाम्यहम् 3. 131. 14. इति त्वां नारदोऽब्रवीत् 6. 64. ". इति त्वां नृप शोचिमि 3. 60. 100. इति त्वां प्रवृणोम्यहम् 1. 76. 314. इति त्वां प्राह धर्मराट् 15. 19.7. इति त्वां वेभि कौरव 5. 195. 20. इति दद्यादिति यजेत् 1. 85. 26deg. इति दद्याद्दरिद्राय 13. App. 14B. 85 pr. इति दद्याद्यादेव 13. App. 14B. 8I pr. इति दध्यौ चिरं रामः 5. 176. 29. इति दानं प्रदातव्यं 13. App. 14B. 77 pr. इति दाशरथेः ख्यातः 2. App. 21. 582 pr. इति दीनेषु पार्थेषु 3. 10. 220. इति दुर्योधनस्याहं 7. 110. 2. इति दुर्योधनः सूतः 8. 35. 2. इति दुर्योधनामात्याः 3. 231. 13". इति दुर्योधनेनोक्तः 9. 325*. 1 pr. इति दुर्योधनोत्सृष्टाः 6. 397*. 1 pr. इति दुर्योधनो वाच्यः 5. 80. 80. इति दुष्टस्य विज्ञानं 12. 104. 51". इति दुःखसमन्वितः 1. 167. 34. इति देवगणानां च 6. 114. 40% इति देवं सनातनम् 13. 329*. 1 post. इति देवानुशासनम् 12. App. 19. 179 post. इति देवा व्यवसिताः 12. 8. 286. इति देवासुराणां ते 1. 61. 99". इति द्रुपदराजेन 3. 144. 13. इति द्रोणोऽभ्यभाषत 7. 15. 184. इति द्रोणो व्यवस्थितः 1. App. 80. 15 post. इति द्वैतवने तात 7.85.61". इति द्वैपायनोऽब्रवीत् 6. 64.4. इति द्वैपायनो व्यासः 5. 60.4". इति धर्ममवेक्षताम् 13. 83. 1 . इति धर्मविदः प्राहुः 4. 628*. 3 pr. इति धर्मविदो विदुः 1. 113. 2743; 211. 224. 3. 158. 11. 4. 45. 20. 5. 80. 184. 12. 36. 264; 56.203; 74. 30deg ; 77. 130; 98. 144; 128. 33%; 256.1143; 285.56; 348. 12. 13. 108. 13* ; App. 15. 3299 post. . .. इति धर्मः सनातनः 12. 251. 12. इति धर्मः समाख्यातः 12. 256. 15*. इति धर्मानुशासनम् 1. App. 36. 23 post. इति धर्मेषु निश्चयः 5. 178. 271. 12. 234. 254. 13. 61.8. इति धर्मो विधीयते 13. 100. 20'. इति धर्मो व्यवस्थितः 13. 40. 11' ; 315*. 4 post. इति धीरो न मुह्यति 4. 120*. 41 post. इति धीरोऽन्ववेक्ष्यैव 3. 33. 46deg. इति धौम्येन धर्मज्ञः 4. App. 1. 49 pr. इति धौम्यो व्यवसितः 2. 603*. 2 pr. इति ध्रुवं नास्ति कृतं न साधु 5. 47.87d. इति नः शाश्वती श्रुतिः 12. 262. 15'. इति नः समयः कृतः 4. 42. 154. इति नागा मया ब्रह्मन् 1. 52. 18%. इति नानाप्रधाविताः 12.276.84. इति नान्तं चिकीर्षति 12. 255.7'. इति नारायणः शंभुः 2. 33. 16*. इति निगदितवृत्तां धर्मसूनुर्निशम्य 4. 100*. 1. इति नित्यमचिन्तयत् 1. 155.24. इति नित्यं नराधिप 12. 306. 974. इति नित्यं निवेदयेत् 13. 100. 19". इति नित्यं प्रकीर्तयेत् 13. 79. 124. इति नित्यं योगविद्भिः 6. 266*. 1 pr. इति नित्यं विचिन्तयेत् 12. 90. 140; 94. 354. इति निर्बन्धतः स्थाली 3. App. 25. 104 pr. इति निर्वचनं लोके 3. 34. 79%. इति निश्चित्य कौशिकः 12. 139. 33. इति निश्चित्य तत्त्वेन 5. 191. 15. इति निश्चित्य दुर्मतिः 3. App. 25. 37 post. इति निश्चित्य पाण्डवः 1. 127.. इति निश्चित्य भामिनी 9. 47. 34. इति निश्चित्य भारत 6. 107. 54". इति निश्चित्य भूमिपः 2. 45. 48. इति निश्चित्य मनसा 1, 43. 18%; 1808*. 4 pr. 3.69.8". 9. 49. 60%. 13. 40.54". इति निश्चित्य योगवित् 12. App. 28. 31 post. इति निश्चित्य विप्रेन्द्राः 14. 63. 13. इति नीतिषु पठ्यते I. App. 81. 183A 12 post. इति नृप सततं गवां प्रदाने 13.75. 30%. इति नैकाश्रयं जन्म 1. App. 1. 25 pr. इति नैव विरुध्यते 12. App. 19. 207 post. . इति नैष्ठिकमञ्जसा 12. 323, 571. इति भ्यानन्सहस्रशः 9.22. 68".. . -383