________________ अस्मिंस्तु वै सुसंवृत्त] श्लोकपादसूची [अस्य मे जननी हेतु अस्मिस्तु वै सुसंवृत्ते 12. 161. 220. अस्मिस्तोयहूदे सुसं 9. 28.57. अस्मिस्त्वतिक्रमे ब्रह्मन् 3. 197. 250. अस्मृतिश्चाविपाकश्च 1-4. 36. 13". अस्मृतिं च वध वै 3. 116. 17" अस्मै तु द्विजमुख्याय 1.51. 11. अस्मै शंसतु मानयः 7. 164. 69*. अस्य कन्या वरारोहा 5. 102. 5. अस्य कर्तुर्गति सवा 3. 1022*. 1 pr. अस्य काव्यस्य कवयः 1. 187*. 1 pr.; App. 1. 35 pr. अस्य किंचितिायं धनम् 7. App. 8. 503 post. अस्य किंलक्षणो धर्मः 13. App. 15.571 pr. अस्य कीर्तिः स्थिता लोके 4. 65. 9". अस्य क्षेत्रस्य संक्षेपः 13. App. 15. 4105 pr. अस्य गन्धस्य दौर्गन्ध्यात् 4. 175.20 pr. अस्य गात्रगनान्वाणान् 11.25.11". अस्य गात्राणि वर्धन्ते 5. App. 9.60 pr. अस्य चर्षेरुत्तस्य 1.16.25. अस्य चाकृतनिष्कृतेः 13. 194*. 2 post. अस्य चाधोऽथान्तरिक्षं दिवं च 13. 143. T. अस्य चापग्रहेणैः 11. 19. 34. अस्य चेत्कल हस्यान्त: 5.59. 22. अस्य चैवर्षिसंघख 13. 128. 220. अस्य चैत्र समक्षं त्वं 13. 126.6%. अस्य चैवानुजो रुद्रः 12.327.70%. अस्य चोपरि शैलस्य 3. 158. 196. अस्यतः कङ्कपत्राणां 8. 26. 23. अस्यतः कर्णिनाराचान् 3. 46. G". अस्यतः कर्णिनालीकान् 5.51.4. अस्यतः क्षिण्वतश्वारीन् 8.299*.5pr. अस्यतः परिघोपमौ 7.21. 11. अस्यतः प्रतिसंधाय 4.59. 40%; 991*.2 pr. अस्यतः शतशः शरान् 6.57. 10. अस्यतः सव्यदक्षिणम् 8. App. 15.27 post. अस्यतः सूतपुत्रस्य 7. 114. 49. अस्यतामर्जुनः श्रेष्ठः 7.6. 100. अस्यता येन संग्रामे 7. 166. 11t. अस्यता सव्यसाचिना 1.218.34219. 244. अस्यतां फल्गुनः श्रेष्ठः 5.03. 120. अस्यतां यतमानानां 9.21.14. अस्यतां लोकवीराणां 1. 1001*. I pr. अस्य तु त्वं फलं मूढ 1. 109.25. अस्यतो नित्यमत्यर्थ 1. App. 1.56 pr. अस्यतोरनिरं शरान 4.59.27. अस्यतो लघुहस्तस्य 7. 47. 230, 31'. अस्यतो बुष्णिवीरस्य 7.91.31. अस्य दीप्तानि रूपाणि 7. 173.776 अस्य दुःखस्य चोत्पत्ति 5. 15.27. अस्य देवस्य यद्भाग 13. 16.54. अस्य देवस्य यद्वक्त्रं 7. 173.13. अस्य देहकरम्तात 5. 102. 14. अस्य धर्मप्रवृत्तस्य 2.34 134. अस्य नागपतेदातुं 5. 101. 26. अस्य नानासमायोगं 15.42. 13. अस्य नाभ्यां पुष्करं संप्रसूतं 13. 143. 86. अस्वन्तमनिशं शरान् 1. 123.220, 304. अस्यन्तमिपुजालानि 7.24.22. अस्यन्तं दिव्यमस्त्रं मां 4.56.30. अस्यन्तं पाण्डुसृञ्जयाः 7. 158. 15. अस्यन्नस्यन्तमन्तिकात 7. 150. 21. अस्यन्नेकोऽनयत्सर्वाः 1.56. 10. अस्यन्नेको वनचरः 7. 156. 18. अस्यन्विद्धः करे भृशम् 14. 73. 22. अस्य पापस्य दुर्जातेः 2. 61. 46. अस्य पापस्य दुर्बुद्धे 6. 319*. 1 pr. अस्य पापस्य मोक्षं हि 7. 1257*. 3 pr. अस्य पापस्थ शुद्ध्यर्थे 15.5.9. अस्य पुत्रं हृषीकेश 11.25.234. अस्य पुहि मे ब्रह्मन् 13.81.47. अस्य प्रज्ञाभिपन्नस्य 1. 2. 334. अस्य प्रतिप्रियं कार्य 12. 321. 18. अस्य प्रदानस्य यदेतदुक्तं 1. 800*.3. अस्य प्रभावात्सर्वेऽपि 4. 1129*. 1 pr. अस्य प्रभावात्संप्राप्तः 12. 273.2 pr. अस्य प्रवक्तुमिच्छामि 13. App. 11, 10 pr. अस्य प्रवर्तनाच्चैव 12.322. 476. अस्य बालस्य भगवन् 9.43. 41". अस्य बाहुबलं प्राप्य 2. App. 12. 109 pr. अत्य बाहुबलेनास्मि 4. 1142*.4 pr. अस्य भार्यामिषप्रेप्सून् 11, 19.49. अस्य भावमविज्ञाय 1 212.218 अस्य मन्ये नलस्य च 3.69.28. अस्यमानो दिवानिशम् 7. 1:56. 200. अस्य मांसं वयं सर्वे 12.416*. 13 pr. अस्य मांसरिमे सर्व 12. 100. 1. अस्य मे जननी हेतु: 12. . . - 277 -