________________ अप्राप्य पाण्डवैश्वर्य] श्लोकपादसूची [ अप्सरास्मि महाबाहो अप्राप्य पाण्डवैश्वर्य 2. 417*. 1 pr. अप्राप्यमकृतात्मभिः 13. 28. 260. अप्राप्य मां निवर्तन्ते 6.31.30. अप्राप्य योगसंसिद्धिं 6. 28. 57. अप्राप्यरूपां हि नरेन्द्रकन्याम् 1. 185. 260. अप्राप्यं च भवेत्सान्त्वं 12. 128.4". अप्राप्यं प्रार्थयानो हि 13. 29. 36. अप्राप्यं मनसापीह 9.62. 15. अप्राप्यः केशवो राजन् 5. 67. 21". अप्राप्येह ततोऽनुज्ञां 13. 17. 100. अप्रामाण्यं च वेदानां 12. 80. 180. 13. 37. 11". अप्रार्थनीयामिह मां 4. 13. 136. अप्रार्थितं प्रार्थयसे 8. 27. 236. अप्राशनमसंस्पर्श 12. 173. 31". अप्रियस्य च पथ्यस्य 5. 186*.2 pr. अप्रियस्य तु पथ्यस्य 2. 57. 17.5.37. 14. अप्रियं कुरुसंसदि 5. 125. 1. अप्रियं च न कर्तव्यं 1. 419*.3pr. अप्रियं चाम्बिकासुते 15. 3. 13. अप्रियं चाहितं यत्स्यात् 4. 4. 19. अप्रियं द्रौणिमुक्तवान् 7. 172. 12. अप्रियं परुषं चापि 12, 149.75M. अप्रियं पाण्डुनन्दने 15. 3. 14. अप्रिय प्रियवाक्यैश्च 13. 39.6%. अप्रियं यस्य कुर्वीत 12.94.8". अप्रियं वसुदेवस्य 14. 60.2". अप्रियं वा प्रियं वापि 7. 168. 1". अप्रियं वा हितं ब्रूयात् 13. App. 15. 4569 pr. अप्रियं सुमहत्कृत्वा 7. 115.50. अप्रियं सुमहन्मम 1. 140. 19. अप्रियं हृदये मह्यं 5. 145. 11". अप्रियः सर्वभूतानां 3.28. 37deg. 13. 132.53. अप्रियाणां च वचनं 7.98.6". अप्रियाणां च वचने 5. 157. 14". अप्रियाणां च वचनैः 9. 187*. 1 pr. भप्रियाणि ततोऽन्योन्यं 9.54. 44". अप्रियाणि विशां पते 7. 114. 76. भप्रियाण्यवमानांश्च 12. 284, 290. अप्रियाण्याह पथ्यानि 2.57. 18. 5. 37.15. भप्रिये चैव कर्तव्ये 12.258. 67. अप्रियेऽतिष्ठदत्यन्तं 1. 119. 23deg. अप्रिये तु समुत्पन्ने 5. 43. 18%. अप्रिये न च संज्वरेत् 3. 198. 41. 12. 94. 11'. अप्रिये दिये। च 2.5.78d. 12. 315.6". अप्रियेषु व्यवस्थितः 2. 13. 224. अप्रियैः सह संवासः 3. App. 21, 18". अप्रियो यः परुषो निठुरो हि 8.29.20%. अप्रीतमनसः सर्वे 3.79.5. अग्रीतिकरमात्मनः 12.212. 30. अप्रीतिस्थानमागतम् 14. 6. 12t. अप्रीलेनान्तरात्मना 9. 360*. 1 post. अप्रीते पुनस्तेषु 13. App. 15. 3011 pr. अप्रीत्या तु विपर्ययः 12. 140. 37. अप्रीयत महाराज 7. 103.29. अप्रीयमाणः शोकातः 11. 11. 12. अप्रेक्षणीयमभवत् 14. 68. 3. अप्रेक्षमाणाः शोकात: 8.2.2. अप्रेक्षापूर्वकरणात् 12.37. 12', 12. अप्रेषयति दुःषन्ने 1. 631*. 1 pr. अप्रेषयत्समीपस्थाः 4. App. G. 3 pr. अप्रैषं शाल्वराजाय 3. 23. 2. अप्रैषीत्समरे तीक्ष्णैः 6. 112.86deg. अप्रैषी द्वेमसंछवान् 7.27. 1. अप्रैशीद्राजपुत्री मां 4. 15.4". अप्रैपीद्विशिखान्धारान् 6. 106.39. अप्रोशितं वृथामांसं 13. 111. 42*. अप्लवं सलिलं यथा 7. 116.5. अप्लवः संतितीर्षसि 8.27.114. अप्लवः संग्रगाहते 14.49.26'. अप्लवः सागरे यथा 8.5.23. अप्लवाः प्लवमासाद्य 7. 152.2'. अप्लवे कालसागरे 12. 307. 8t. अप्लवे दुस्तरे नृभिः 6. 300*. 1 post. अप्लवे प्लवमन्विच्छन् 7. 1350*. 1 pr. अप्लवे भव नः प्लवः 5. 132. 21. अग्लवेऽम्भसि मन्नानां 2.64. 30. अप्लवे यः प्लवो भवेत् 12. 79. 37'. अप्लवो हि महादोषं 12. 227. 20. अप्शय्यामेक एवं ह 3. 191. 94. अप्सरस्सु मृगीणां च 1. 659*.4 pr. अप्सरा इव सौरूप्यात् 4.333*. 11 pr. अप्सरागां तथैव च 1. App. 37. 18 post. अप्सरा देवकन्या वा 1. 200. 22. 3. 218. 10. अपसरा मेनका ब्रह्मन् 1. 225*. 1 pr. अप्सरा वापि नागी वा 4. 203*. 1 pr. अप्सरास्मि महाबाहो 1.208. 114 - 155 -