SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अपश्यन्तः स्वपितरौ] महाभारतस्थ [अपश्यं भरतर्षभ अपश्यन्तः स्वपितरौ 5. 88. 9. अपश्यन्तीह तं वीरं 3.679*. 1 pr. अपश्यन्ती हृदि प्रियम् 3. 24*. 1 post. अपश्यन्तोऽन्नविषयं 12.276.394. अपश्यन्तो मृगं श्रान्ताः 3. 295. 14. अपश्यन्तो स्थानीक 9. 24.56. अपश्यन्त्यः पितृन्भ्रातृन् 12.33.94. अपश्यन्त्याः प्रियं पुत्रं 13. 154.22. अपश्यन्त्योऽपरं तत्र 11. 16.51. अपश्यन्द्रौणिमेव च 10. 8. 671. अपश्यन्नम्भसः पारं 8. 338.2 pr. अपश्यन्नर्जुनं तत्र 3. 367. 4 pr. अपश्यन्नस्मदीयाश्च 7.73. 29". अपश्यन्नात्मनो दोषान् 3. 1014*. 1 pr. अपश्यन्नान्तरं तस्य 7. 1009*.2 pr. अपश्यन्निर्मलजलं 1. 325*. 9 pr. अपश्यन्निहतं ततः 12. 446*. 1 post. अपश्यन्निहतं पुत्रं 12. 137. 11. अपश्यन्नुद्धवं यान्तं 16. 4. 12. अपश्यन्पाण्डवास्तत्र 6.57.27. अपश्यन्भीमसेनस्य 8. App. 15.26 pr. अपश्यन्भ्रमरारावान् 3. 155.60%. अपश्यन्मत्स्यराज च 4.30.4. अपश्यन्मामुपेक्षन्तं 5.31. 130. अपश्यन्मुनिसत्तमान् 3. App. 25. 129 post. भपश्यन्युधि भीष्मस्य 7. 126.27. अपश्यन्रथिनो युद्ध 7. 162. 35. भपश्यन्रमतः सुखम् 3. 155.55%. भपश्यन्वसुधातले 10.9.34. भपश्यन्वै भयार्दिताः 9. App. 1. 25 post. भपश्यन्सर्वभूतानि 3. 186. 79.. भपश्यन्सात्यकिं चापि 7. 102... भपश्यन्सारथीन्हतान् 4. 476.2 post. भपश्यममरावतीम् 3. 164. 42. भपश्यमहमद्भुतम् 13. App. 3A. 184 post. भपश्यमहमव्यग्रम् 13. App. 3A. 219 pr. भपश्यमहमव्ययम् 13. App. 3A. 289 post. भपश्यमानस्तमृर्षि 1. 65. 100. भपश्यमानस्तं देवं 13. App. 3A,301 pr. अपश्यमानस्तु किरीटमाली 8. 45. 57". अपश्यमानः स तु तां 1. 160.41". अपश्यमानः स द्वारं 12.278. 310. अपश्यमाना राजानं 9.21. 16deg34.37. अपश्यमानाः समरे 9. 29. 35. अपश्यमानो भीमं च 3. 153.8. अपश्यमुदधिं भीमं 3. 166. 1. अपश्यमेनं श्रीमन्तं 4. 18. 330. अपश्यमेव श्रीमन्तं 4. 385*. 1 pr. अपश्यल्लोहितोदं च 3. 213. 28. अपश्यश्च महाराज 12. App. 29D. Do pr. अपश्यम्तावपश्यत्वात् 12. App. 2918. 281 pr'. ; App. 29C. 267 pr. अपश्यस्त्वं तं तदा घोररूपं 14.9. 36". अपश्यं कृष्ण पृथिवीं 11. 17. 20. अपश्यं कृष्णमागतम् 5. 56.2. अपश्यं गिरिसत्तमे 13. 14. 27'. अपश्यं च सुपर्णानां 13. App. 3A. 315 pr. अपश्यं चाग्निहोत्राणि 13. App. 3A. 279 pr. अपश्यं चाहमायान्तं 13. App. 3A. 373pr. अपश्यं चिन्तयित्वा तं 2. App. 39. 245 pr: अपश्यं तत्र च तदा 11. 8. 20. अपश्यं तत्र तत्र गाः 2. 49. 36. अपश्यं तत्र वेश्मनि 13. 70.21". अपश्यं तमृर्षि विद्धं 3. 205. 27deg. अपश्यं तं द्विजश्रेष्ठम् 3. 164.2. अपश्यं तामनिमिधं 4.757*. 4 pr. अपश्यं ता महाबाहो 5. 170. 11. अपश्यं तेजसा व्याप्तं 13. App. 3A. 217 pr. अपश्यं त्वां यदा कृष्णे 4. 397*. 4 pr. अपश्यं दानवाकीर्ण 3. 166.6. अपश्यं दानवांम्तन्त्र 3. 169. 4. अपश्यं दिवि केशव 13. 124*. 1 post. अपश्यं दिवि भारत 13. 15.64. अपश्यं देवसंघानां 13. 15. 10. अपर्य द्वारकां चाहं 3. 21. 24. अपश्यं द्वारि वारितान् 2. 47. 16. अपश्यं नलिनी पूर्णी 2. 46. 26deg; App. 32.2 pr. अपश्यं निहतं वीरं 8.51. 67". अपश्यं पक्षिमिव॒तम् 13. 12. 181. अपश्यं पतितं च ह 13.69.27. अपश्यं परमाहुतम् 3. 167. 12. अपश्यं परमेश्वरम् 13. 117*. 2 post. अपश्यं पार्थसायकैः 12.27.5deg. अपश्यं पितरं तात 13. 18. 42". अपश्यं ब्राह्मणं पथि 3. 163. 104. अपश्यं भरतर्षभ 6. 42. 21'. - 140 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy