________________ वाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख हिंसा नहीं करें और जो इस आज्ञा का उल्लंघन करके जीव हिंसा करेगा तो साधारण नागरिक को मृत्युदड तथा राजकुल के सदस्यों को आर्थिक दंड भुगतना पड़ेगा। ग्राम कुण्डल यह ग्राम रमणीया पादरू बस मार्ग पर है। यहां पहले जैन-धर्मावलम्बी के काफी घर थे / परन्तु आजकल सिवाना वगैरा अन्य जगह बस गये हैं तथा अपने साथ प्रतिमायें ले जाकर वहीं पर मन्दिर बनवाये या अन्य मन्दिरों में प्रतिमायें प्रतिष्ठित करादी गई है। यहां पर एक जैन मंन्दिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में विद्यमान है। यहां कोई लेख प्राप्त नहीं हुआ। ग्राम कोटडा यह ग्राम बाड़मेर जिले की तहसील शिव से दस किलोमीटर पश्चिम में है / शिव से कोटड़ा पक्की रोड़ है, परन्तु शिव हरसाणी बस मार्ग यहाँ से 5 कि. मी. दूर है। शिव से पैदल या ऊँट पर जाना पड़ता है। किसी समय बड़ा नगर था। बाड़मेर जिले में तीन नगर ऐसे हैं जहां परकोटे वकिले बने हुए हैं उनमें से एक कोटडा भी है। अभी भी परकोटे का एक दरवाजा व कुछ अवशेष विद्यमान हैं। कोटड़ा किसी जमाने में प्रोसवालों की 24 गाँवों की पंचायत का मुख्यालय था। बाड़मेर में रहने वाले पड़ाइयां (सिंघवी) गोत्र वाले कोटड़ा से बाड़मेर आये हुए है। यहाँ पर श्रीशीतलनाथजी का मन्दिर है तथा 18 पंच धातु प्रतिमाएं हैं जो कोटड़ा के ही खण्डहर हुये मन्दिरों से लायी हुई हैं। श्रीशीतल नाथजी की सर्व धातु की मूर्ति करीब आधा मीटर ऊँची मानवाकर है। इस पर कोई लेख नहीं है। यह मूत्ति ठोस न होकर अन्दर से खोखली है। (21) 1. पादुकाजी छोटे लेख : // 60 // शक्तिहर्षगणि कृतम/संवत् 1557 . (22) 2. पादुकाजी छोटे लेख : संवत् 1677 पासु सुदि 4 तिथौ पं. अभयवद्धनमुनिशिष्य नां पादुके कोटड़ा श्रीसंघ कारितं / प्र. वृधखरतरचच्छ श्रीजिनराजसूरिभिः