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________________ [ प्रकरण-१३] परमात्मा श्री नेमिनाथ व संहार कृष्ण और जरासंध के युद्ध में मातलि सारथी की बात में पाकर श्री नेमिनाथ ने संहारक लीला दिखायी और कुछ क्षणों में ही एक लाख शत्रुओं को मार गिराया। मानो श्री नेमिनाथ परमात्मा में दया का अंश ही न हो ऐसी कल्पित बात परमार्थ न जानने की अनभिज्ञता के कारण प्राचार्य ने बोड़ दी है। खंड 1, पृ० 356 पर माचार्य लिखते हैं कि xxx यह देखकर मातलि ( भगवान नेमिनाथ के सारथी ) ने हाथ जोड़कर अरिष्टनेमि से निवेदन किया-"त्रिलोकनाथ ! यह जरासन्ध आपके सामने एक तुच्छ कीट के समान है। आपकी उपेक्षा के कारण यह पृथ्वी को यादव विहीन कर रहा है। प्रभो ! यद्यपि आप जन्म से ही सावध (पापपूर्ण) कार्यों से पराङ्गमुख हैं, तथापि शत्रु द्वारा जो आपके कुल का विनाश किया जा रहा है, इस समय आपको उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। नाथ ! अपनी थोड़ी सी "लीला" दिखाइये।xxx मीमांसा-"अपनी थोड़ी सी लीला दिखाइये" इस कथन को प्राचार्य हस्तीमलजी ने कौन से प्रागम शास्त्र से लिया है, वह इन्होंने सूचित नहीं किया है / किन्तु दोष रहित परमात्मा को लीला और वह भी 'संहारक लीला' के साथ जोड़कर प्राचार्य ने अक्षम्य अपराध ही किया है।
SR No.032834
Book TitleKalpit Itihas se Savdhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year1983
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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