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________________ [ 46 ] नामक पुस्तक, जिसका संकलन स्थानक मार्गी अखिलेश मुनि ने किया है। जिसके पृ० 271 ( ग्यारहवां संस्करण ) पर पार्श्वनाथ भगवान का स्तोत्र दिया है। जिसमें श्री पार्श्वनाथजी का एक विशेषण "श्री शंखेश्वर मंडन पार्श्वजिन" लिखा है। अर्थात्-शंखेश्वर गांव के सिरताज श्री पार्श्वनाथ भगवान / इससे भी शंखेश्वर पार्श्वनाथ नाम के तीर्थ की पुष्टि होती है / शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा के विषय में श्री पार्श्वनाथ चरित्र और हरिवंश चरित्र में इस प्रकार का उल्लेख पाता है कि गत चौबीसी के दामोदर नाम के तीर्थंकर भगवान को प्राषाढ़ी नाम के श्रावक ने पूछा कि-हे भगवन् ! संसार से मेरा निस्तार कब होगा? तब दामोदर भगवान ने उसको बताया कि मागामी चौबीसी के तेवीसवें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान के तुम गणधर बनोगे तब तुम्हारा मोक्ष होगा। ऐसा सुनकर प्रभु पार्श्वनाथ की प्रतिमा उसने बनवायी थी। श्री शुभवीर विजयजी महाराज कृत "शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन" में भी उक्त बात का जिक्र आता है। यथा संवेगे तजी घर वासो, प्रभु पार्श्व के गणधर थाशो। तब मुक्तिपुरी में जाशो, गुणीलोक में वयणे गवाशो रे / / शंखेश्वर साहिब साचो। इम दामोदर जिन वाणी, प्राषाढ़ी श्रावके जाणी। जिन वंदी निज घर पावे, प्रभु पार्श्वकी प्रतिमा भरावे रे // - शंखेश्वर साहिब साचो।
SR No.032834
Book TitleKalpit Itihas se Savdhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year1983
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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