________________ [ 15 ] xxx भयहर स्तोत्र भी आचार्य मानतुंग की रचना मानी जाती है। 000 मीमांसा—'मानी जाती है' ऐसा संदिग्ध लिखकर प्राचार्य अपने इतिहास को कौड़ी की कीमत का कर रहे हैं क्योंकि इतिहास के लेखन में सत्य कथनों को ऐसे संदिग्ध रूप में लिखना दोषपूर्ण होता है। शासन रक्षक देव-देवियां अवसर पर प्राकर तीर्थंकर के भक्तों के संकट निवारण करते हैं, इस विषय में श्री स्थूलिभद्र महामुनि की बहिन साध्वी यक्षा की बात आगम प्रसिद्ध है, जो शासन रक्षक देवी की सहायता से श्री सीमंधर भगवान के पास गयी थी। इस विषय में खंड-२, पृ० 776 पर प्राचार्य लिखते हैं कि x0X यदि कोई कहदे कि ( भाई साधु श्रीयक की मौत के विषय में ) यक्षा निर्दोष है, तभी मैं ( यक्षा ) अन्न-जल ग्रहण करूंगी अन्यथा नहीं / xxx 300 अन्ततोगत्वा शासनाधिष्ठात्री देवी की संघ ने आराधना की और देवी सहायता से आर्या यक्षा महाविदेह क्षेत्र में श्रीमंदरस्वामी के समवसरण में पहुँची।xxx xxx देवी सहायता से आर्या पुनः लौट आयो।xxx मीमांसा-उक्त बात से यह स्पष्ट है कि देव-देवियां जैनशासन की सहायता करते हैं / बड़े बड़े प्राचार्यों ने भी उनकी भक्ति की अनुमोदनार्थ स्तोत्र रचे हैं। उनके शासन सेवा की अनुमोदना निमित्त प्रतिक्रमण में कायोत्सर्ग भी किया जाता है। जिन प्रतिमा की तरह देव-देवियों की प्राचीन मूर्तियां भी जमीन में से निकलती हैं, इस ध्वंसावशेष प्रतिमा की चौकियों पर उट्ट कित लेख से यह भी निर्णय होता है कि पूर्वाचार्यों ने ही इन शासन रक्षक देव-देवियों की मूर्ति की