________________ [ 112 ] यदि स्थानकपंथी प्राचार्यादि को कुपंथ त्याग कर सत्यमार्ग पर पाना हो, तो उन्हें चौदह पूर्वधर महर्षि श्री भद्रबाहु स्वामी महाराज का एक ही कथन-"बिडाल की प्राकृति यानी बिडाल" के तथ्य को अच्छी तरह समझना चाहिए। जिनप्रवचन और जिनमंदिर के अवर्णवाद और अपलाप करने वाले जिनशासन के अहितकारी तत्त्वों का जितनी हो सके उतनी ताकत से सामना करना चाहिए / -"श्री उपदेशमाला शास्त्र"