SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 210
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान 209 क्षपक सूक्ष्मसांपराय गुणस्थान का उत्कृष्ट काल तो यथायोग्य अंतर्मुहूर्त है। क्षपक का जघन्यकाल या मध्यमकाल होता ही नहीं। मध्यमकाल - उपशमक सूक्ष्मसापराय गुणस्थान का दो समय, तीन, चार, पाँच आदि समयों से लेकर यथायोग्य अंतर्मुहूर्त काल के बीच का काल दसवें गुणस्थान का मध्यमकाल हो सकता है; वह भी मरण की अपेक्षा। गमनागमन की अपेक्षा विचार -- गमन - 1. उपशमक सूक्ष्मसांपराय गुणस्थानवर्ती महामुनिराज ऊपर की ओर उपशांतमोह गुणस्थान में ही गमन करते हैं। 2. उपशमश्रेणी से उतरते समय सूक्ष्मसांपराय मुनिराज ही दसवें गुणस्थान से नीचे नववें अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में गमन करते हैं। 3. यदि उपशमक सूक्ष्मसांपराय गुणस्थानवर्ती मुनिराज का मरण हो जाय तो विग्रहगति के समय उनका चौथे गुणस्थान में ही गमन होता है। 4. क्षपक सूक्ष्मसांपराय गुणस्थानवर्ती महामुनिराज क्षीणमोह गुणस्थान में ही गमन करते हैं। - 95. प्रश्न : क्षपक सूक्ष्मसांपराय गुणस्थानवर्ती मुनिराज उपशांत मोह गुणस्थान में गमन क्यों नहीं करते ? उत्तर : चारित्रमोहनीय कर्म का क्रमशः क्षय अर्थात नाश करतेकरते पूर्ण वीतरागता को अल्पकाल में प्राप्त करेंगे। अतः वे नियम से क्षीणमोह गुणस्थान में ही गमन करते हैं; ग्यारहवें उपशांतमोह गुणस्थान में नहीं। क्षपक श्रेणी के गुणस्थानों में उपशम श्रेणी का 11 वाँ गुणस्थान नहीं आता; क्योंकि क्षपक और उपशमक का मार्ग परस्पर नियम से भिन्न है। सत्ता में मोह है ही नहीं तो उपशांत मोह होगा कैसे? आगमन - 1. उपशमक सूक्ष्मसापराय गुणस्थान में आगमन नीचे के उपशमक अनिवृत्तिकरण गुणस्थान से ही होता है। 2. श्रेणी से उतरते समय ऊपर के उपशांतमोह गुणस्थान से भी सूक्ष्मसांपराय गुणस्थान में आगमन होता है। 3. क्षपक सूक्ष्मसांपराय गुणस्थान में आगमन मात्र क्षपक अनिवृत्तिकरण गुणस्थान से होता है।
SR No.032827
Book TitleGunsthan Vivechan Dhavla Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain, Ratanchandra Bharilla
PublisherPatashe Prakashan Samstha
Publication Year2015
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy