________________ अपूर्व शास्रज्ञान, विभिन्न दर्शनों तथा न्यायशास्त्र के गहन अभ्यास, विशाल अध्ययन एवं तलस्पर्शी अनुभव ज्ञान की सिद्धि की है / इस में से आप श्रीजी निरन्तर मनोवैज्ञानिक, रसयुक्त, प्रेरक और बोधक शैली से व्याख्यान, वाचन एवं साहित्य सर्जन द्वारा श्रुतज्ञान का अमृतपान करा रहे हैं, क्योंकि आपके हृदय में शासन रक्षा की अपूर्व भावना और महान् उत्साह है / आप चाहते हैं कि श्रीसंघ को वीतराग- शासन के अद्वितीय श्रुतज्ञान का उत्तराधिकार प्राप्त होता रहे और जैनत्व के संस्कार दृढ, दृढतम बनते रहे / वर्धमान आयंबिल तप की कठोर तपस्या के साथ अप्रमत्त भावसे 17-18 घण्टे का परिश्रम करते हुए तथा अनेक उत्तरदायित्वों की उपस्थिति में पालीताणा, अंधेरी, नासिक, अहमदनगर, वढवाण, पालनपुर, अहमदावाद, शिवगंज आदि स्थानों में पूज्य आचार्य श्री जी ने तत्त्वज्ञान की श्रावक वर्ग को अनेक वाचनाएँ प्रदान की है | उनसे बालकों, युवकों, प्रौढों और विद्वानों ने पर्याप्त लाभ उठाया तथा उन वाचनाओं की नोट भी लिखी गयी / जैन संघ में ज्ञान जागृति के लिये यह प्रबल आवश्यकता और माँग थी कि भिन्न भिन्न वाचनाओं का पाठ्यपुस्तक के रूप में संक्षेप में संकलन किया जाए जिससे पुस्तक अभ्यासोपयोगी बन सके / इस माँग की वि. सं० 2018 में पूर्ति हुई / आचार्य श्रीजी ने अनेक प्रकार की प्रवृत्तियों के बावजूद पुस्तक की विषय-वस्तु तैयार की / सर्वप्रथम उसका प्रकाशन 'जैन धर्म का सरल परिचय' नाम