________________ दो के अतिरिक्त घ्राणेन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय जीवों को इन के साथ चक्षुइन्द्रिय, और पंचेन्द्रिय जीवों को इनके अलावा श्रोत्रेन्द्रिय / इस प्रकार संसारी जीव पांच प्रकार के हैं, एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय / इन में एकेन्द्रिय स्थावर हैं / कैसा भी जैसे अग्नि का भी उपद्रव हो, ये बेचारे स्थावर जीव स्वेच्छा से न हिल सकते हैं, न चल सकते हैं / निगोद का अर्थ है ऐसा शरीर जिस एक को धारण करके अनन्त जीव रहते हैं / तात्पर्य, अनन्त जीवों का एक ही शरीर होता है | अतः इस जीव को साधारण वनस्पतिकाय अथवा अनन्तकाय जीव कहते है / पांचों स्थावर जीवों का कोष्टक पृथ्वीकाय | अप्काय | तेजस्काय | वायुकाय| वनस्पतिकाय मिट्टी,खडी | कुआं | अग्नि | वायु प्रत्येक साधारण नमक नदी ज्वाला पवन | वृक्ष जमीनकंद खार तालाब दीपक हवा अनाज | प्याज पाषाण झरना | बिजला बवंडर | बीज |लहसन चक्रवायु पत्र लोहा, सोना | वर्षा का | प्रकाश आदि धातुएँ / पानी चिनगारी बर्फ | अग्नि अदरक हरी हल्दी पुष्प | - फल | आलू