________________ (14) प्रिय व्यवसाय के लिए प्रिय भी आराम का त्याग किया जाता है; और प्रिय भी एक धंधे (व्यवसाय) को छोड़कर ज्यादे पैसे के लिए अन्य व्यवसाय प्रिय किया जाता है / इस प्रिय भी धन का व्यय अधिक प्रिय 'पुत्र-परिवार' के लिए किया जाता है / ऐसा भी अवसर प्रस्तुत होता है कि जलते हुए घर में इसी प्रिय भी 'पुत्रपरिवार' का त्याग करके व्यक्ति अपने देह को बाहर निकालता है अर्थात् स्वयं बाहर चला जाता है / ऐसा क्यों? कहना होगा कि अधिक प्रिय के निमित्त उस की अपेक्षा कम प्रिय का त्याग कर दिया जाता है / कभी अपमानादि के कारण कोई व्यक्ति आत्मघात करके शरीर का भी त्याग कर देता है / वह यह कार्य किस प्रिय वस्तु के लिए करता हैं? कहना होगा कि अधिक प्रिय अपनी आत्मा के लिए शरीर का त्याग करता है; इस शरीर को अपमानादि के महादुःख न सहन करना पडे इसलिए यह विचार करता है के 'मरने के पश्चात् मुझे (मेरी आत्मा को) न तो इसे देखना पड़ेगा और नहीं जलना होगा / ' सबसे अधिक प्रिय अपने जीव को इस शरीर द्वारा देखने पडते दुःख से मुक्त करने के लिए आत्म-हत्या तक की जाती है / यह सूचित करता है कि आत्मा शरीर से पृथक् है / / (15) प्रीतिभोजन में भाग लेनेवाला अधिक मात्रा में परोसनेवाले से कहता है- 'अब और मत डालिए, यदि मैं अधिक खाउंगा तो