________________ प्र०- शास्त्र बताता है कि जीव ने अतीत अनंतकाल में अनंत बार मनुष्य जन्म पाया व उन में अनंत बार चारित्र भी लिया, तो फिर मोक्ष क्यों न हुआ? ___ उ०- मोक्ष शुद्ध धर्म की साधना से होता है / शुद्ध धर्म वीतराग सर्वज्ञ भगवान से कथित धर्म को ही कहते है / उसकी भी साधना विषय वैराग्य के साथ-साथ ही हो, तभी वह शुद्ध धर्म है / अलबत्त; अतीत अनन्त काल में अनंत बार चारित्र लिया, किन्तु वह मानवभव के सुख, सन्मान की या देवभव के सुखों की लालच से लिया / विषय वैराग्य के साथ चारित्र ले एवं पाले, तब तो अल्प भव में मोक्ष हो सकता है / यहाँ हम वीतराग सर्वज्ञ तीर्थंकर भगवान के धर्मशासन के साथ आर्य-मानवजन्म पाए है / तब विषय-वैराग्य के साथ उस धर्मशासन की आराधना करनी वहीं हमारा अनन्य कर्तव्य प्र०- विषय वैराग्य कैसे होता है? उ०- मन में यह विचार आना चाहिए कि इन्द्रियों के जिन विषयों के सेवन से आज तृप्ति पाता हूँ, कल उन्हीं विषयों की फिर भूख खड़ी होगी / वहाँ भी विषयों से उसकी तृप्ति करने पर भी नए दिन नयी विषय-भूख खड़ी होती है / तब (1) ऐसा विषय-सेवन का बेगार श्रम-क्यों उठाना? उपरान्त (2) जीवन समाप्त होते ही सब नष्ट ! बाद नए जन्म में नया शरीर-निर्माण ! और नया विषय 0 32