________________ को वंदना, पौषध, सामायिक, ब्रह्मचर्य-पालन तथा दो टंक प्रतिक्रमण आदि करना / सचित्तजल त्याग, विगय-त्याग, हरी सब्जी का त्याग, दलना, कूटना, कपड़े धोना, रंगना, खोदना इत्यादि आरंभ-समारंभों का त्याग एवं क्लेश-कलह का त्याग आदि करना / परभव की आयुष्य का बन्ध प्रायः पर्व तिथियो में होता है। अतः यदि दिन धर्मकृत्यो में व्यतीत हो तो दुर्गति की आयु का बंध नहीं होगा / प्रति मास दूज आदि बारह पर्वतिथियों की आराधना करनी / यह शक्य न हो तो, कम से कम पांच तिथि (सुदी पंचमीदो अष्टमी और दो चतुर्दशी) की आराधना तो अवश्यमेव करनी / बाकी तिथियों में भी अमुक अमुक तिथि विशेष उद्देश से भी आराधी जाती है / वह भी उपवास आदि करने, जैसे कि ग्यारस-तिथि 11 गणधर की एवं 11 अंग- आगम की आराधना के लिए आराधी जाती है / ___ यदि सभी पर्वतिथियों का आराधन उच्च प्रकार से शक्य न हो तो भी शक्य प्रमाण में कुछ न कुछ विशेष त्याग, जिन-भक्ति, दान, प्रतिक्रमण, आरंभ-समारम्भ में संकोच आदि की आराधना करनी / कल्याणक-तिथियों के दिन १२पर्वतिथि के समान आराध्य हैं। कम से कम उन तीर्थंकरों के नाम की उस कल्याणक की माला गिननी / इस से अर्हद्भक्ति का भाव जागता और बढ़ता है। 960 1958