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________________ सेट् कर्मणि धातु. 44 व. शोभे शोभसे शोभते कर्तरि शुभ - शोभवं/ दिपवं शोभावहे शोभामहे शोभेथे शोमध्ये शोभते शोभन्ते | शुभ्ये शुभ्यावहे शुभ्यसे शुभ्येथे शुभ्येते शुभ्यामहे शुभ्यध्वे शुभ्यन्ते शुभ्यते ह्य. अशोमे अशोभथाः अशोभत अशोभावहि अशोमेथाम् अशोभेताम् अशोभामहि अशोभध्वम् अशोभन्त अशुभ्ये अशुभ्यावहि अशुभ्यथाः अशुभ्येथाम् अशुभ्यत अशुभ्येताम् अशुभ्यामहि अशुभ्यध्वम् अशुभ्यन्त शोभेमहि वि. शोमेय शोमेथाः शोभेत शोमेवहि शोभेयाथाम् शोभेयाताम् शोमेध्वम् शोमेरन् | शुभ्येय शुभ्येथाः / शुभ्येत शुभ्येवहि शुभ्येयाथाम् शुभ्येयाताम् शुभ्येमहि शुभ्येध्वम् शुभ्येरन् आ. शोमै शोभस्व शोभताम् शोभावहै शोमेथाम् शोभेताम् शोभामहै शोभध्वम् शोभन्ताम् शुभ्यै शुभ्यस्व शुभ्यताम् शुभ्यावहै शुभ्येथाम् शुभ्येताम् शुभ्यामहै शुभ्यध्वम् शुभ्यन्ताम् श्व शोभिताहे शोभितास्वहे शोभितास्महे | शोभिताहे शोभितास्वहे शोभितास्महे शोभितासे शोभितासाथे शोभिताध्वे शोभितासे शोभितासाथे शोभितावे शोभिता शोभितारौ शोभितारः शोभिता शोभितारौ शोभितारः tu WIE EIL LEL III Inz lll tu il ili LLL LLL LLL LLL lll li lli m the भवि शोभिष्ये शोभिष्यावहि शोभिष्यसे शोभिष्येथाम शोभिष्यते शोमिष्येताम् शोभिष्यामहि शोभिष्यध्वे शोभिष्यन्ते शोभिष्ये। शोभिष्यावहे शोभिष्यसे / शोभिष्येथे शोभिष्यते शोमिष्येते शोभिष्यामहे शोभिष्यध्वे शोभिष्यन्ते क्रि अशोभिष्ये अशोभिष्यावहि अशोभिष्यामहि अशोभिष्ये अशोभिष्यवहि अशोभिष्यामहि अशोभिष्यथाः अशोभिष्याथाम् अशोभिष्यध्वम् अशोभिष्यथाः अशोभिष्येथाम् अशोमिष्यध्वम् अशोभिष्यत् अशोभिष्येताम् अशोभिष्यन्त अशोभिष्यत अशोभिष्येताम् अशोभिष्यन्त शुशुभे परो शुशुमे शुशुभिषे शुशुभे शुशुभिवहे शुशुभाथे शुशुभाते शुशुभिमहे शुशुभिध्वे शुशुभिरे शुशुभिवहे शुशुभाथे शुशुभाते शुशुभिमहे शुशुभिध्वे शुशुभिरे शुशुभे अद्य अशोभिषि अशोभिष्वहि अशोभिष्महि / अशोभिषि अशोभिष्वहि अशोभिष्महि अशोभिष्ठाः अशोभिषाथाम् अशोभिड्वम् अशोभिष्ठाः अशोभिषाथाम् अशोभिड्ढ्वम् अशोभिष्ट अशोभिषाताम् अशोभिषत अशोभिष्ट अशोभिषाताम् अशोभिषत आशी शोभिषीय शोभिषीवहि शोभिषीमहि / शोभिषीय शोभिषीवहि शोभिषीमहि शोभिषीष्ठाः शोभिषीयास्थाम् शोभिषीध्वम् / शोभिषीष्ठाः शोभिषीयास्थाम् शोभिषीध्वम् शोभिषीष्ट शोभिषीयास्ताम् शोभिषीरन् शोभिषीष्ट शोभिषीयास्ताम् शोभिषीरन् 64
SR No.032789
Book TitlePadma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2008
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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