________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-५४ प्रतिष्ठा प्राचार्यदेव के पट्टधर शिष्य प्राचार्य विजयसमुद्रसूरीश्वरजी के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुई। मन्दिर के अन्दर आचार्यदेव श्री यशोभद्रसूरीश्वरजी म., वासुदेवाचार्यजी एवं क्षमाऋषिजी महाराज के पट की भी प्रतिष्ठा इसी दिन हुई। विक्रमी सं.२००६ का शिलालेख श्री महावीराय नमः ___ वि. सं. 2006 मार्गशीर्ष शुक्ला 6 तिथौ हस्तिकुण्डीतीर्थे श्री न्यायाम्भोनिधि श्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वराणां पट्टधरपण्डितैः पञ्चनदपञ्चाननैः ज्ञानभानुप्रकाशकैः युगवीरवरैः श्रीमद्वि जयवल्लभसूरीश्वरैः प्राणप्रतिष्ठा-नयनाञ्जनशलाका सम्पादिता // श्रीरस्तु /