________________ हस्तिकुण्डी के राजा राजस्थान में राष्ट्रकूटों के प्राचीनतम शिलालेख मेवाड़ के धनोप ग्राम और मारवाड़ को हस्तिकुण्डी नगरी में प्राप्त हुए हैं। ये राष्ट्रकूट भी किसी-न-किसी रूप में मारवाड़ के राजवंश की प्राचीन परम्परा से जुड़े हुए थे क्योंकि इस वंश की दानशीलता इतिहास के झरोखों से आज भी झाँकती है / राष्ट्रकूटों के बहुत से दान-पत्र मिले हैं साथ ही अनेक प्रशस्तियाँ भी। राष्ट्रकूट गोविन्दचन्द्र के बयालिस दानपत्र प्राप्त हुए हैं / ' राष्ट्रकूट दन्तिवर्मा (वि. सं. 810) के दानपत्र का एक श्लोक राष्ट्रकूटों की दानप्रियता को उदाहृत करता मातृभक्तिः प्रतिग्राम, ग्रामलक्षचतुई ष्टयम् / ददत्या भूप्रदानानि, यस्य मात्रा प्रकाशिता / / अर्थात् उस. दन्तिवर्मा की माँ ने राज्य के चार लाख गांवों में प्रत्येक गाँव में धर्मार्थ भूमि का दान किया। 1. राष्ट्रकूटों का इतिहास : विश्वेश्वरनाथ रेउ, भूमिका /