________________ हस्तिकुण्डी का इतिहास-२४ प्राचार्य कक्कसूरिजी नवम (वि. 778-837) से हस्तिकुण्डी के पोकरणा गोत्रीय केहरा ने दीक्षा ग्रहण की थी। आप भी इस तीर्थ में पधारे हुए हैं। पार्श्वनाथ भगवान के 44- पाट पर प्राचार्य सिद्धसरिजी नवम (862-652 वि.) हुए। इनके सदुपदेश से हस्तिकुण्डी के भीमाशाह ने दीक्षा अङ्गीकार की थी। श्री हस्तिकुण्डी के शिलालेखों में निम्नलिखित प्राचार्यों एवं साधुओं के नाम मिलते हैं: यशोभद्र सूरि शान्तिभद्राचार्य वासुदेवाचार्य (बलिभद्रसूरि, केशवसूरि ये एकही नाम हैं) शान्त्याचार्य सूर्याचार्य कृष्णविजय रत्नप्रभोपाध्याय पूर्णचन्द्रोपाध्याय पाश्वनाग सुमनहस्ति वासुदेवाचार्य - वासुदेवाचार्य के इतिहास प्रसिद्ध दो और नाम हैंबलिभद्राचार्य एवं केशवसूरि / ये वासुदेवसूरि, यशोभद्रसूरिजी के शिष्य थे / लावण्यसमयजी 'बलिभद्ररास' में लिखते हैं: