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________________ 506 नंषधीयचरिते कृतमिति भावः / हनूमान् आञ्जनेयः आधः प्रथमः येषां तथाभूतैः ( ब० वी०) वोत्यस्य दूतकर्मणः पन्थाः मार्गः (10 तत्पु०) यशसा की. सितीकृतः श्वेतीकृतः रामादीनां कार्य साधयित्वा जगति स्वनाम विस्तारितमित्यर्थः मया पुन: तु द्विषां शत्रूणां हसैः हासैः सितीकृतः, इन्द्रार्थाय गतो नलः स्वीयमेव कार्य साधितवान् इति शत्रुमध्ये अहम् आत्मानं उपहासास्पदतां नीतवानस्मीति भावः // 123 // व्याकरण-अभ्यधाम् अभि + Vधा+लुङ / आध:-आदी भव इति+ आदि + यत् / द्विषाम् द्वेष्टीति/द्विष + क्विप् ( कर्तरि ) / हस: हस् + अप् (भावे ) / दूत्यम् दूतस्य भावः कर्म वेति दूत + यत् ( यह वैदिक प्रयोग है ) / ०पथः समास में पथिन को अप्रत्यय हो जाता है सितीकृतः सित + च्वि, ईत्व Vकृ + क्त( कर्मणि)। अनुवाद-"ओह ! खेद है कि जो मैंने यों ही अपना नाम कह दिया (और) इन्द्र का यह इतना महत्त्वपूर्ण कार्य छोड़ दिया। हनूमान आदि दौत्य-मार्ग को यश से श्वेत बना गए, किन्तु मैंने शत्रुओं की हंसी से उसे श्वेत बनाया है" // 123 // टिप्पणी- हनूमान-जैसे दूतों ने तो जगत की वाहवाही पाई और एक में हूँ, जो कर्तव्यभ्रष्ट हो शत्रुओं में अपनी बदनामी फैला रहा हूँ। ध्यान रहे कि कवि जगत् में यश और हास दोनों श्वेत रंग से . प्रसिद्ध हैं। विद्याधर के अनुसार यहाँ व्यतिरेकालंकार है, क्योंकि हनूमान आदि में अधिकता बताई गई है / नाम, नाम में यमक, 'महो' 'मह' में छेक, अन्यत्र वृत्त्यनुप्रास है // 123 / / धियात्मनस्तावदचारु नाचरं परस्तु तद्वेद स यद्वदिष्यति / जनावनायोद्यमिनं जनार्दनं क्षये जगज्जीवपिबं शिवं वदन् / / 124 // अन्तक:-( अहम् ) आत्मनः धिया तावत् अचारु न आचरम् / जनानाम् अवनाय उद्यमिनम् (विष्णुम् ) जनादनम्, क्षये जगज्जीवपिबम् ( महादेवम् ) शिवम् वदन् स परः तु यत् वदिष्यति तत् ( अहं ) वेद / टीका-अहम् आत्मनः स्वस्य घिया बुद्धया तावत् वस्तुतः अचार असाधु न आचरम् कृतवानस्मि, बुद्धिपूर्वकमहम् इन्द्रप्रतिकूलम् नाकरवम्, उन्मादा. वस्थायामेवाकरवमिति भावः / जनानाम् लोकानाम् अवनाय रक्षणाय उद्यमिनम् उद्योगिनम् जनरक्षकमित्यर्थः विष्णुमिति शेषः अर्दयति पीडयतीति अर्दनः पीडकः
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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