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________________ 208 नैषधीयचरिते _अनुवाद-नीचे गिरा ताड़ फल वस्तुतः कृशाङ्गी ( दमयन्ती) के ऊपर उठे होने से ठीक-ठीक इन कुचों की बराबरी करने में सक्षम नहीं है और दूसरा ( अनगिरा ) विशाल वृक्ष के सहारे ऊपर स्थित ताड़ फल (भी) कृशाङ्गो के स्वतः ऊँचे कुचों की बराबरी नहीं कर सकता / / 74 // टिप्पणी-कवि लोग ताड़ फल से नायिकाओं के कुचों की तुलना किया करते हैं, लेकिन जहाँ तक कृशाङ्गी दमयन्ती के कुचों का सम्बन्ध है, हमारे कवि के अनुसार ताड़ फल की तुलना में आ ही नहीं सकता, क्योंकि ताड़फल दो तरह के होते हैं—एक नीचे जमीन पर गिरा, दूसरा पेड़ चढ़ा / पहला इसलिए इसकी बराबरी नहीं कर सकता है कि वह गिरा हुआ है जब कि इसके कुच देखो, तो ऊपर उठे हुए हैं। पेड़ पर लगा ताड़ भी बराबरी में नहीं आ सकता क्योंकि वह दूसरे अर्थात् पेड़ के आसरे ऊपर उठा हुआ है, जबकि ये कुच बिना किसी अन्य के आसरे स्वतः ही ऊपर उठे हुए हैं। भाव यह निकला कि दमयन्ती के कुच ताड़ फल से भी अधिक सुन्दर और उन्नत हैं। विद्याधर ताड़ और कूचों का चेतनीकरण मानकर समासोक्ति और साथ ही विरोध भी कह रहे हैं / कायलिंग स्पष्ट ही हैं। व्यतिरेक ध्वनित हो रहा है। शब्दालंकार वृत्त्यनुप्रास है। एतत्कुचस्पर्धितया घटस्य ख्यातस्य शास्त्रेषु निदर्शनत्वम् / तस्माच्च शिल्पान्मणिकादिकारी प्रसिद्धनामाजनि कुम्भकारः / / 75 / / अन्वयः-एतत्कुच-स्पधितया ख्यातस्य घटस्य शास्त्रेषु निदर्शन वम् अजनि, मणिकादिकारी तस्मात् शिल्पात् च प्रसिद्धनामा कुम्भकारः अजनि / टीका-एतस्याः अस्याः दमयन्त्याः कुचाभ्याम् स्तनाभ्याम् (10 तत्षु० ) स्पर्धते स्पर्धा करोतीति तथोक्तस्य ( उपपद तत्पु० ) भावः तत्ता तया ख्यातस्य प्रसिद्धि प्राप्तस्य घटस्य कुम्भस्य शास्त्रेषु न्यायादिग़न्थे निदर्शनस्य दृष्टान्तस्य भावः तत्त्वम् अजनि जातम् / घटो हि कुचाभ्यां सह स्पर्धनेन न्यायशास्त्रे 'सर्वम् अनित्यम् कार्यत्वात् घटवत्' इति दृष्टान्तरूपेण प्रयुज्यमानः लोके ख्यातिमगच्छत् इति भावः / मणिकः अलिंजरः 'अलिंजरः स्यान्मणिकः', इत्यमरः) आदियषान्तथाभूतम् (ब० वी० ) कर्तुं शीलमस्येति तथोक्तः ( उपपद तत्पु० ) तस्मात् दमयन्तीकुचस्पधिकुम्भनिर्माणात् एव च प्रसिद्धं ख्यातं नाम संज्ञा ( कर्मधा० )
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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