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________________ वैषधीयचरिते चकोरनेत्रणदगुत्पलानां निमेषयन्त्रण किमेष कृष्टः / सारः सुधोद्गारमयः प्रयत्नैर्विधातुमेतन्नयने विधातुः // 32 // अन्वयः-एतन्नयने विधातुम् विधातुः प्रयत्नैः चकोरलानाम् सुधोद्गारमयः एष सारः निमेष-यन्त्रेण कृष्टः किम् ? टीका-एतस्याः दमयन्त्याः नयने द्वे नेत्रे विधातुम् रचयितुम् विधातुः ब्रह्मणः प्रयत्नः प्रयासै: चकोराणां नेत्राणाम् नयनानां (10 तत्पु० ) च एणानाम् मृगाणाम् दृशाम नयनानाम् (10 तत्पु०) च. उत्पलानां नीलकमलानां च ( द्वन्द्व ) सुधायाः अमृतस्य उद्गारः स्रावः निष्यन्द इति यावत् (ष० तत्पु० ) एवेति ०मयः अमृतरूप इत्यर्थः एष सारः सारभूततत्वम् निमेष: पक्ष्मणां दलानाञ्च संकोचः एव यन्त्रम् निष्पीडन-साधनविशेषः तेन ( कर्मधा० ) कृष्ठः आकृष्टः किम् ? चकोर-नेत्रेभ्यः मृगीनेत्रेभ्यः नीलकमलेभ्यश्च सुधारसः निमेष-यन्त्रेण निष्पीड्य तेन ब्रह्मा दमयन्त्याः नयने रचितवान् किम् ? इति भावः // 32 // व्याकरण-निमेष: नि + /मिष् + घन ( भावे ) / सुधोद्गारमयः स्वरूपार्थे मयट् / सारः सरतीति / +घञ् ( भावे ) प्रयत्नः प्र+यत् + नङ् / अनुवाद-इस ( दमयन्ती) के नयनों के बनाने हेतु ब्रह्मा के प्रयत्नों से चकोर और मृगों के नयनों तथा नीलोत्पलों का अमृतरसमय यह सार निमेषरूपी यन्त्र द्वारा खींचा है क्या ?! 32 // टिप्पणी-यहाँ भी दमयन्ती के नयनों पर कवि की यह कल्पना है कि ब्रह्मा ने चकोरों और मृगियों के नयनों तथा नीलकमलों के निमेष को गन्ने की तरह रस निकालने का यन्त्र बनाया है। नयनों का निमेष पलकों का झपकना और कमलों का निमेष पंखुड़ियों का बन्द होना है ! इस निमेष से ब्रह्मा ने चकोरों और मृगियों के नयनों से उनके भीतर का अमृत रस खींचा, तब उससे दमयन्ती के नयन बनाये। चकोर आँखों से चन्द्र की ज्योत्स्ना को पीते ही हैं जिसमें अमृत रहता है। "मृगलाञ्छन' होने के कारण मृग चन्द्र की गोद पर बैठा ही रहता है, इसलिए उसकी आँखों से भी अमृत का सम्बन्ध बराबर बना ही रहता है। नीलोत्पल रात को विकसित होते हुए ज्योत्स्ना द्वारा अमृत से सम्बन्ध बनाये हुए रहते ही हैं। इन तीनों के निमेषों को रस निकालने की मशीन बनाकर इनकी आँखों के भीतर का अमृतमय सार-तत्त्व ब्रह्मा ने खींच
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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