________________ साऽऽहूयो श्लोकानुक्रमणिका 1615 संमं ययोरिङ्गि 1695 स सिन्धुज 164 | सा वागवाज्ञायि 10 // 49 समं सपत्नी 886 स स्यन्दनः 13323 साऽवाचि 20114 समं समेते 221122 सहचरोऽसि 475 सा विनीत 171144 सममेणमदै 2 / 92 सह नया 4194 सा विभ्रम समापय 9 / 112 महद्वितीयः 14165 सा शरस्य समाप्तिलिप्येव 16397 18490 सहस्रपत्रा सा शशाक 3 / 16 समिति पति 12 / 75 महाखिल 201104 9/20 साऽशृणोत् 'समुन्मुखी 12 / 77 साक्षात्कृता सा स्मरेण 18/69 1312 सम्पदस्तव 5.22 साक्षात्सुधांशु 201103 10 / 116 सम्प्रति प्रति 5 / 27 सागरान्मुनि सितत्विष 12 221133 सम्भावयति 2071 2176 साङ्कोव सितदीप्र 21122 सम्भाषणं 117 1112 पाथ नाथ सितांशुवर्षे 18 / 135 सम्भुज्यमाना 7 / 42 साधारणों 11110 13.13 सिताम्बुजानां सम्यगर्चति 21130 22153 सितो यदा साधु कामुकता 1767 सम्यगस्य 21118 12 // 36 सिन्दूरपति साधु त्वया 3177 स ययौ 2068 साधु नः सिन्धोत्र 12 / 38 सरसिजवना 19 / 32 साधोरपि मिष्मिये 1846 6.99 सरसि नृप 3133 17 / 47 सानन्तानाप्य 111129 सुकृतेवः सरसीः परि 240 पानन्दं 14197 सुगत एव 4180 सरोजकोशा 1690 मा निर्मले 14 / 48 सुताः कमाहूय 1142 सरोजिनी 3276 साऽपसृत्य 201119 2177 सरोरुह 1 // 24 पापीश्वरे 3329 सुधांशुरेव 10 // 41 सरोषाऽपि 20119 मा भङ्गिरस्याः 1112 सुधांशुवंशा 9215 सर्वतः कुशल साभिशाप 5 / 16 सुधाभुजो 22 / 67 सर्वत्र संवाद्य 6 / 54 सा भुवः 5 / 26 सुधारसो 9 / 113 सर्वथापि . 21499 सामोद 10 // 97 सुधासम्सु 81100 12 / 112 सा यता 211112 सुरपरिवृढः 19 / 43 सर्वांगीण 14 / 86 सायुज्य 111117 सुरापराध 9 / 153 सर्वाणि 1477 सारोऽथ धारेव 885 / सुरेषु नापश्य 14117 सलीलमालि 678 सालीकदृष्टे 818 सुरेषु पश्यन्नि 91529 स व्यतीत्य सावज्ञेवाथ 2019 सुरेषु माला 1420 सव्यापसव्य 3114 सावतभाव 11 / 28 सुरेषु सन्देश 9 / 19 ससम्भ्रमोत्पा 11126 सा व यं 17130 सुवर्णशैला / 3 / 22 सुदतीजन 5 / 74 सर्वस्वं 58