________________ 1602 श्लोकानुक्रमणिका। दीपलोप 18131 | देवानियं 13 // 38 ! ध दीयतां मयि 18141 देवी कथञ्चित् 1137 धनिदानाम्बु 1726 दुर्ग कामाशुगे 17121 देवी च ते 1490 | धनुर्मधुस्विन्न / 1181 दुर्लभं दिग 580 देवी पवित्रित 11166 धनुषी रति 2028 दते नलश्री 816 देवेन तेनैष 22 / 89 धन्यासि वैदर्भि 31116 दृश्यसङ्गति 18129 देवद्विजे: 1766 धयत नलिने 19 / 33 दूस्याय दैत्यारि 65 देव्याः करे। 13351 धरातुरासाहि 3195 दूरं गौरगुणे 12184 देव्याः श्रुतौ 14.30 धराधिराज 12161 दूरतः स्तुति 21150 देव्याऽपि दिव्या 14 / 66 धर्मबीज 21196 दूरस्थित 22181 देव्याऽभ्यधायि 11124 धर्मराज 5168 दूरान्नः प्रेक्ष्य 17 / 124 देशमेव 201149 धर्माधर्मों 17 દર दूरारुढ 1965 दैत्यभर्त 21 / 58 धवेन सा 16 // 39 दूरेऽपि तत् 22 / 109 देन्यस्तन्य 17 / 25 धातुर्नियोगा 3118 दूर्वाग्रजाग्रत् 1447 | दैन्यस्यामुष्य 17182 धार्यः कथङ्कार 3115 दृगपहत्यप 485 | दोग्धा द्रोग्धा 17181 धिक्चापले 3155 दृग्गोचरो 1463 दोर्मूलमा 6320 धिक्तं विधेः 3 / 32 दृशा नलस्य 12 / 109 दोष नलस्य 171216 धिगस्तु तृष्णा // 130 दृशाऽपि सा 8 / 10 द्यामन्तरा 113 धिनोति नास्मान् 897 हुशाऽथ निर्दिश्य 12169 द्रागुपाहियत 213 धियात्मनस्ताव 9 / 124 दृशोरपि 14155 द्रुतविगमित 4118 धुता पतत् 9 / 86 दृशोरमङ्गल्य 9 / 106 द्रोणः स तत्र 1169 धूपितं यदु 1815 दृशोद्वयी 967 द्रोहं मोहेन 171147 | धूमावलि 14173 दृशोर्यथाकाम 79 द्रोहिणं दुहिणो 17116 / धूलीभिर्दिव 12 / 99 दृशौ किमस्या 734 द्वापरः साधु 17139 तं वतंसो 15/39 दृशौ मृषा 9 / 11 द्वापरैक 17157 तिलाञ्छन 2226 दृष्टं दृष्टं 20167 द्विकुण्डली 1087 धृताङ्गरागे 1039 दृष्टो निजां 22 / 130 द्विरेव 19 / 63 धृतातेस्तस्य 867 दृष्ट्वा जनं 171196 द्विषद्भिरेवास्य 172 ताल्पकोपा 38 दृष्ट्वा पुरः 17 / 378 द्वीपं द्विपाधि 11173 तेतया 1532 देवः पति 13333 द्वीपस्य पश्य 11149 / धृत्वैकया। देवः स्वयं 11 // 29 शाल्मल 11167 201:35 देवदूत्य 18138 द्वीपान्तरेभ्यः 1026 ध्रुवं विनीतः 1667 देवश्चेदस्ति 1776 द्वेण्या कीर्ति 12 / 12 ' ध्रुवमधीत