________________ श्लोकानुक्रमणिका। 1601 तेषु तद्विध 5/67 | त्वमुचितं 199 | दयोदयश्चे 8.96 ते सख्यावाच 20136 | त्वं मदीय 181144 | दर्शस्य 171193 ते हरन्तु 21175 | त्वया जगत्युच्चित 8142 | दलपुष्प 17 / 207 तौ मिथो रति 18136 स्वयान्याः क्रीड 2080 दलोदरे त्यज्यते न 21186 त्वयापि किं 3173 | दशशत 19 / 10 त्यागं महेन्द्रादि 1415 | त्वया विधात 1689 दशाननेनापि 22 / 129 पाऽस्य न 153 त्वयि न्यस्तस्थ 20144 दहति कण्ठ 471 त्रातुं पति 22099 / त्वयि वीर 244 दहनजा न 146 त्रिदशमिथुन 1919 स्वयि स्मराधेः 33115 दहनमविशद 1944 त्रिनेत्रमात्रेण 8163 त्वयैकपत्न्या 955 दाक्षीपुत्रस्य 1961 त्रिसन्ध्यं तत्र 17188 स्वरस्व पञ्चेषु 948 दानपात्र 5.92 त्र्यम्बकस्य 21137 | विषं चकोराय 22163 दानवारि 21 // 60 स्वं यार्थिनी 13332 दानवौघ 21157 त्वं हृदता 33105 दण्डताण्डवनैः 1794 दारा हरि 1775 स्वचः समुत्सार्य ___731 दण्डं बिभर्त्यय 13 // 15 दारिद्रयदारिद्र 3125 स्वच्चेतसः 370 दण्डवगवि 21 // 36 दारुणः कूट 171128 त्वत्कान्तिमस्माभि 899 दत्ते जयं 211120 दासीषु नासीर 1093 त्वत्कुचाई 20179 दवारमजीवं 386 दिनु यस्खुर 2155 त्वत्तः श्रुतो 1433 ददाम किं ते 8102 दिगन्तरेभ्यः 1092 त्वत्प्रापकात् 31110 ददासि मे 1694 दिगीशवृन्दांश 16 स्वदग्रसूची 1180 ददृशे न 2271 दिगीश्वरार्थ 9169 त्वदर्थिनः 8.94 ददेऽपि तुभ्यं 9 / 131 / दिदृचरन्या 15/79 त्वदास्यनिर्य 9 / 63 ददौ पदेन 174211 दिनमिव दिवा / 19.55 त्वदास्यलचमी 22141 दधतो बहु 16 दिनावसाने 22 / 97 स्वदितरो // 31 दधदम्बुद રાટર दिने दिने त्वं . 190 स्वद्विरः क्षीर 20122 2017 दमनादमनाक 20155 दिनेनास्या स्वद्गुच्छावलि 33127 दमयन्त्या 20112 दिने मम 22 / 38 स्वद्गोचरस्तं 872 दमस्वसः सेय 870 | दिवस्पते 1627 स्वबद्धबुद्धः / 3 / 101 दमस्वसुः पाणि 1645 | दिवारजन्यो 755 स्वद्रपसम्पदव 11342 दमस्वसुश्चित्त 12150 | दिवो धवस्त्वां 974 स्वद्वाचः स्तुतये 21 // 146 / दम्पत्योपरि 20600 दिवौकसं 941 त्वमभिधेहि 150 दयस्व नो 8193 | दिशि दिशि (प्रशास्ति)२ स्वमिव कोऽपि 198 | दयितं प्रति 174 | दीनेषु सत्स्वपि 1114