________________ विंशः सर्गः। 1301 हुए मनोहर चन्द्रमाको प्रत्युद्गमन ( अगवानी ) पश्चिम समुद्रकी लहरी ( पानीका तरङ्ग ) करती है // 2 // स दूरमादरं तस्या वदने मदनकदृक् / दृष्टमन्दाकिनीहेमारविन्दश्रीरविन्दत / / 3 / / स इति / दृष्टा अवलोकिता, मन्दाकिन्याः स्वर्गगङ्गायाः, हेमारविन्दस्य स्वर्णका मलस्य, श्रीः शोभा येन सः तादृशः, सहशदर्शनजातप्रियामुखारविन्दस्मृतिः इत्यर्थः / एवञ्च दमयन्तीमुखारविन्द-मन्दाकिनीहेमारविन्दयोः उत्कर्षापकर्षनिर्धारणे समर्थः इति भावः / मदनैकहक कामकशरणः, कामासक्तचित्त इत्यर्थः / सः नलः, तस्याः प्रियायाः भैम्याः, वदने आनने, दूरम् अस्यन्तम् , तस्पद्मापेक्षया समधिकमित्यर्थः / आदरम् आग्रहम् , अविन्दत अलभत / तत्पद्मापेक्षया दमय. न्तीमुखस्य अधिकसुन्दरत्वात् तत्रैव समधिकादरवान् बभूवेत्यर्थः // 3 // मन्दाकिनी ( आकाशगङ्गा ) के स्वर्णकमलकी शोमाको पहले ( स्नानकालमें ) देखे हुए एकमात्र काममें दृष्टि रखनेवाले अर्थात कामासक्त उस नलने उस ( दमयन्ती ) के मुखमें (मन्दाकिनीके कमलकी अपेक्षा दमयन्तीके मुख में अधिक शोभा होनेसे ) अधिक आदरको प्राप्त किया अर्थात् मन्दाकिनीके स्वर्णकमलकी अपेक्षा दमयन्तीके मुखको अधिक आदरसे देखा। [ पहले मन्दाकिनीके स्वर्णकमलकी शोभा देखनेसे दमयन्तीके मुखकी शोभाके साथ तुलना करनेमें नलकी क्षमता सूचित होती हैं ] // 3 // तेन स्वर्देशसन्देशमर्पितं सा करोदरे / 'बभ्राज बिभ्रती पद्मं पद्मेवोनिद्रपद्महक // 4 // तेनेति / उन्निद्रपद्महक विकचारविन्दलोचना, सा दमयन्ती, तेन तदानयता प्रियेण नलेन, अर्पितं-दत्तम् , स्वर्देशस्य स्वर्गलोकस्य, सन्देशं सूचकम् , त्वं स्वर्लोकं गच्छसि, अतः तल्लोकस्थमेकं पद्म मन्निमित्तमानयेः इति दमयन्तीप्रार्थनाऽनुसारे। गानीतम् अत एव स्वर्गभूमेः नलः आगतः इति ज्ञापयदिव स्थितमित्यर्थः। पद्म हेमारविन्दम् , करोदरे पाणिमध्ये, बिभ्रती दधती सती, पद्मा इव साक्षादेव लक्ष्मीः इव, बभ्राज रेजे / लक्ष्मीरपि उन्निद्रपद्महक पद्महस्ता च इति उपमास. ङ्गतिः बोद्धव्या // 4 // उस (नल ) के द्वारा स्वर्ण सन्देशके समान दिये गये स्वर्णकमलको हाथमें ग्रहण करती हुई ( अत एव हर्षसे, या-स्वभावतः) विकसित कमलके समान नेत्रवाली वह दमयन्ती लक्ष्मीके समान शोभित हुइ / [ जब नल स्नानार्थ मन्दाकिनीको जा रहे थे तब दमयन्तीने अपने लिए स्वर्गसे एक कमल लाने की प्रार्थना की थी, तदनुसार ही नलने स्वर्गके सन्देशके समान उस मन्दाकिनी-स्वर्ण-कमलको दमयन्तीके लिए दिया तो उसे 1. 'बभ्राजे' इति पाठान्तरम् /