________________ दर्शनार्थ पहुंचने को उत्सुक हुए। सगर चक्रवर्ती ने संघ सहित सिद्धाचलजी की ओर प्रस्थान किया। रास्ते में संदेशा प्राप्त हुआ कि गंगा नदी के प्रवाह से नगर-देश इत्यादि में पानी भर गया है। चक्रवर्ती ने जान्हुका पुत्र भागीरथ को गंगा का प्रवाह अवरोध करने की आज्ञा दी और वे संघ सहित सिद्धाचलजी पहुंचे। सगर चक्रवर्ती ने जीर्णोद्धार करवाया। इन्द्र ने चक्रवर्ती को विनती करते हुए कहा, "सिद्धाचलजी अनुपम, अदभुत तीर्थ है। आने वाला काल अतिविषम है, इससे तीर्थ की रक्षा के लिए समुद्र लाया जाए तो अच्छा होगा। चक्रवर्ती की आज्ञानुसार भगीरथ गंगा को लेकर आया। उन्होंने स्वस्तिक देवता को समुद्र पीछे लाने के लिए आदेश दिया। स्वस्तिक देवता समुद्र लेकर सिद्धाचलजी पहुंचे। इन्द्र ने सगर चक्रवर्ती को समुद्र बीस गाऊ दूर रखने की सूचना दी।" सगर-चक्रवर्ती ने संघसहित तीर्थयात्रा प्रभुपूजन-भक्ति किया। तीर्थ का जीर्णोद्धार करवाया। सिद्धाचलजी से विहार करते हुए प्रभु ने अपने परिवार के साथ प्रस्थान किया। आपने 1,000 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की थी। आपके परिवार में सिंहसेन प्रमुख 95 गणधर, 1,00,000 साधु, फाल्गुण प्रमुख 1,30,000 साध्वियाँ, 2,98,000 श्रावक और 5,54,000 श्राविकाएँ थीं। आपका देहमान 450 धनुष था। आपका वर्ण कंचन (सुवर्ण) है। आपका लाञ्छन गज है। आपकी कुल आयु बहत्तर लाख पूर्व थी। श्री मुक्तिगिरि, श्री विमलाचलजी गिरि को भावपूर्वक वंदन। दूसरे तीर्थंकर श्री अजितनाथजी को भक्ति-भावपूर्वक वंदन। Transliteration [Under the illustration: //bija sriAjitanatha-paramesvaraji nem parinama hojo 2} //SriSidhacalaji uparem // Ajitanatha-paramesvarajih comasu rahya. tiham Sudharma ehavem namem pota no sisya sathem pamni no sambala lei sriSidhacalaji upare prabhuji nam darsana nem avem chem. ehave madhyana sammem thaya chem. mumni udaka num bhajana mumkinem visamem bettha. ehavemakasamata kagadem jhadapa mari. pamni dhali gayum. muni nem kasaya upano.tivarem muniim kagada nem sarapa didho "ja re dusta papi pamsi, taharu iham kama nahih." tada <ka>kala thi e tirtha upara thi kagado gayoh, muniim vicarum jem "mahara paranama bagadya. tima bija ya koyam na bagademh. te saru nahi. te matem sada ya phasum pamni hajyo". tada kala thi te themkamnem Ulasajhola thai. e Ajitanatha-paramemsvaraji avya. te muni nim kahyu "tumari karya ni sidhi iham chem". te munitiham anasana kari moksem gaya, tivara pachi Ajitanatha-paramesvaraji na samavasarana ni (ra)cana thai. te samavasarana nem visem besinem desana kahi. dharma-desana sambhali. anemka pramni vitaraga ni vamni cita ne visem amni, pratibodha pammi, caritra lei, sakala karma-ksaya kari, parama-pada pamya /namo sriAjitaya namah // 12 e sriSiddhacalem vise Sagaracakravartti. tehu na putrah Jinakumara sattha hajara, te Saga(ra)cakravartti ni ajna maginem Astapada-tirthem pota te tirtha ni jatra karinem ghani rem" pamyam a(ne) janum je "agalem pamcama kala visama chem. etalam matem tirtha pachavade sai hoim, to tirtha num roso(p)um thaim". ehavam vicarinem te da(n)da-ratnem karinem Astapada pachavadem hajara jojana eka ni sai kari. 2 At this point a sign indicating that an addition has to be taken from the margin is visible, but the addition itself is missing. पटदर्शन पराज - 19