SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुलनात्मक धम्मविचार. मनुष्य को बीमार करने अथवा मारने के लिए जादु का उपयोग किया जाता है जैसा कि साधारण रीति पर किया जाता हैतब स्वाभाविक रीति से समाज उसे धिक्कारता है और जादुगर को ढूंड निकाल कर उसे मृत्यु की सज़ा देने के लिए उस कार्य में निपुण मनुष्यों को लगाया जाता है इतना तो ठीक है कि सब जादुओं के प्रयोगों का ऐसे ' अभिचार कर्मों ' में ही होता नहीं / मनुष्य की अपनी इच्छाएं और अपने कार्य सिद्ध करने के लिए जादु का उपयोग किया जाता है यह सब सामाजिक हित के विरुद्ध अथवा समाज को हानिकारक नहीं होते। वशीकरण चूर्ण जिनका अधिकांश में बल्कि सब जगह उपयोग किया जाता है वह धिक्कार योग्य नहीं माने जाते / मनुष्य के निजू कामों में इस प्रकार जादु का उपयोग होने से प्राचीन मिसर की जहां भावी जीवन के लिए सामग्री इकट्ठी कर रखने की महत्ता मानी जाती थी वहां मर गए मनुष्य का उसके भावी जीवन में आवश्यक सामग्री को पूर्ण करने के लिए जादु का उपयोग किया जाता यह बात आश्चर्यजनक प्रतीत नहीं होगी। प्राचीन मिसर के धर्म में ऐसा उपदेश किया गया था कि मृत्यु के पीछे प्रेत का देवताओं की न्याय सभा में इन्साफ किया जाता है। परन्तु इस से विशेष महत्व की बात यह है कि प्रत्येक प्रेत संहिता में (Book of the dead बुक आफ दी डेड) प्रेतको दंड मिलने की संभावना रहती है ऐसा
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy