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________________ तुलनात्मक धमावेचार.. जितने ही पुराने हैं। इन देवताओं में से बहुतों के बलिदान देने के पदार्थ निश्चित किए गए हैं। अमुक देवताको अमुक पदार्थ की बलि देने का क्या कारण होगा उसकी कल्पना हम सब प्रसंगों पर कर नहीं सकते / इसलिये हमें ऐसे निश्चय पर आना पड़ता है कि इस समय के लोग स्वेच्छानुसार अथवा घुनाक्षर न्याय से अमुक देवता को अमुक पदार्थ की ही बलि चढानी चाहिए ऐसा निश्चय किया होगा। प्राचीन इतिहास से हमको प्रतीत होता है कि प्रथम देवताओं को सामान्य रीति के खाद्य पदार्थों की बलि दी जाती होगी और इसी के अनुसार धान्य पकता तब धान्य के, पशु पाले जाते तब पशुओं की और इन दोनों के अभाव में दूसरे पदार्थों की बलि उस समय देवताओं को दी जाती थीं। ऊपर की हकीकत से कृषि कर्म और पशुपालन के आरंभ होने से पूर्व अनिश्चित प्रमाण में भक्ष्य पदार्थों की प्राप्ति होने से अपने निर्वाह का परम साधन मान कर प्राचीन काल के मनुष्यों ने उन्हें पवित्र माना होगा तथा उन्हीं को देवता के रूप में मान लिया होगा ऐसा भी हम मान सकते हैं। हम पूर्व बता चुके हैं उसी के अनुसार प्रत्येक प्रजा को उस पर पड़ने वाली आफतें रोकने के लिए देवताओं की सहायता की आवश्यकता पड़ती थी और देवताओं को प्रसन्न करने के
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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