________________ पर्यायाधिकार 175 84. द्रव्य गुण पर्याय को मापने के यूनिट क्या हैं ? द्रव्य पर्याय को मापने का यूनिट प्रदेश है, और गुण पर्याय को मापने का अविभाग प्रतिच्छेद है; क्योंकि द्रव्य पर्याय क्षेत्रात्मक होती है और गुण पर्याय भावात्मक / 85. अनेक द्रव्यों की एक पर्याय और एक द्रव्य की अनेक पर्यायें क्या ? शरीरधारी जीव तथा पुद्गल स्कन्ध अनेक द्रव्यात्म एक द्रव्य पर्याय है / प्रत्येक द्रव्य अनेक अर्थ पर्याय होती ही हैं / 86. द्रव्य, गुण व पर्याय इन तीनों में साक्षात् प्रयोजनीय क्या ? केवल पर्याय ही साक्षात् व्यक्त होने से उपभोग्य है; गुण व द्रव्य तो उनके कारण रूप में मात्र ज्ञेय हैं। 87. द्रव्य व गुण का अनुभव क्यों नहीं होता ? क्योंकि वे सामान्य हैं। अनुभव विशेष का होता है सामान्य का नहीं; जैसे आम ही खाया जाता है, मात्र वनस्पति नहीं / 88. द्रव्य गुण का अनुभव नहीं होता तो वे हैं ही नहीं / नहीं, पर्यायों पर से उनका अनुमान होता है, क्योंकि सामान्य के विशेष कुछ नहीं होता; जैसे वनस्पति के अभाव में आम कल्पना मात्र बनकर रह जायेगा / 89. व्यञ्जन व अर्थ पर्याय में कौन पहले शुद्ध होती है ? जीव की अहँत अवस्था में पहले अर्थ पर्याय शुद्ध होती है, पीछे सिद्ध होने पर व्यञ्जन पर्याय शुद्ध होती है। पुद्गल में परमाणु के पृथक् हो जाने पर उसकी दोनों पर्याय युगपत हो जाती 90. जीव में विभाव पर्याय कहाँ तक रहती है ? ___चौदहवें गुणस्थान के अन्त तक, अर्थात् मुक्त होने से पहले तक / व्यञ्जन पर्याय असमान होने पर भी अर्थ पर्याय समान हों, ऐसे द्रव्य कौन से ? मुक्त जीव; क्योंकि उनके आकार भिन्न हैं, पर भाव समान / 92. 500 हाथ अवगाहना वाले सिद्धों में ज्ञान व आनन्द अधिक तथा 7 हाथ अवगाहना वालों में कम है ? नहीं, अवगाहना व्यञ्जन पर्याय है और ज्ञान व आनन्द अर्थ पर्याय / अवगाहना छोटी बड़ी होने से अर्थ पर्याय छोटी बड़ी नहीं होती, क्योंकि वे भावात्मक हैं /