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________________ पर्यायाधिकार 171 52. सभी पर्यायों का आदि अन्त होता है ? सूक्ष्म रूप से सभी अर्थ पर्याय सादि सान्त है, पर स्थूल रूप से कुछ सादि सान्त व सादि अनन्त आदि भी है। 53. व्यञ्जन पर्याय क्या नियम से सादि सान्त नहीं होती ? नहीं; अशुद्ध द्रव्यों में वे नियम से सादि सान्त होती हैं और शुद्ध द्रव्यों में सादि सान्त व सादि अनन्त भी। 54. सादि अनन्त पर्याय किस कहते हैं ? जो पर्याय उत्पन्न तो होती हो पर जिसका अन्त न होता हो; जैसे जीव की सिद्ध पर्याय / 55. अनादि सान्त पर्याय किसे कहते हैं ? ___ जो पर्याय कभी उत्पन्न न हुई हो, अर्थात् अनादि से हो पर जिसका अन्त हो जाता है; जैसे जीव की संसारी पर्याय / 56. अनादि अनन्त पर्याय किसे कहते हैं ? जिस पर्याय का न आदि हो न अन्त; जैसे धर्मास्तिकाय की शुद्ध द्रव्य पर्याय और अभव्य जीव की अशुद्ध पर्यायें / 57. सादि सान्त स्वभाव व्यञ्जन पर्याय व स्वभाव अर्थ पर्याय किस द्रव्य में होती है ? परमाणु में; क्योंकि स्कन्ध से बिछुड़कर शुद्ध हो जाता है, और पुनः स्कन्ध में बंधकर अशुद्ध हो जाता है। 58. सादि अनन्त स्वभाव व विभाव अर्थ व्यञ्जन पर्याय किन द्रव्यों में होती है ? स्वभाव रूप दोनों पर्यायें मुक्त जीवो में होती हैं, क्योंकि एक बार सिद्ध हो जाने पर वह पुनः संसारी नहीं होता / विभाव पर्याय में आदि अनन्त का विकल्प संम्भव नहीं, क्योंकि वह नियम से नष्ट होने वाला होता है। 59. अनादि सान्त स्वभाव व विभाव पर्यायें किसमें हैं ? अनादि सान्त विभाव पर्याय तो संसारी जीव में होती हैं / स्वभाव पर्यायों में अनादि सान्त का विकल्प नहीं, क्योंकि न कोई जीव अनादि से शुद्ध है और न परमाणु / अनादि अनन्त स्वभाव व विभाव पर्याय किसमें होती है ? अनादि अनन्त स्वभाव पर्यायें धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाश व काल इन चार नित्य शुद्ध द्रव्यों में हैं, जीवन पुद्गल में सम्भव नहीं, क्योंकि उनमें अनादि से कोई शुद्ध नहीं है। अनादि
SR No.032766
Book TitleJain Dharm me Paryaya Ki Avdharna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Bhatt, Jitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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