________________ હર્મન યાકોબી 18 तद् अलं परितापेन देवि शोको व्यपैतु ते / एकोत्पातेन ते लङ्कामेष्यन्ति हरियूथपाः // 40 // भी 3 भने 3 2040 शोको ना ४२यामे मन्युर् 3 2ii सी ते भाटे वै એ 1 भने, 3 जी मन्युर् 3 31 कपिकुञ्जरः जी. 2 3 40 मन्युरपैतु 31 हरिपुङ्गवाः मम पृष्ठगतौ तौ च चन्द्रसूर्याविवोदितौ / त्वत्संकाशं महासंघौ नृसिंहावागमिष्यन्ति // 41 // सी 1 टी सी महासत्त्वौ 3 सी. महाभागे टी. भ. 5 तेम थे 1. सी. महासत्वौ 30. राजपुत्राविहेष्यतः 3 से भी हृष्टतुष्टा तु वैदेहि भविष्यस्याचारादिव सी महाभागौ બી 2 અને 3 સી મીંમાન 3 એ વ ને બદલે દિ અહીંથી 48 સુધીના શ્લોકો ૩માં નથી. तौ हि वीरौ नरवरौ सहितौ रामलक्ष्मणौ / आगम्य नगरी लङ्कां सायकैर्विधमिष्यतः // 42 // सी 1 टर में ततो वीरौ मे 1,2 मे तौ च, भीमा नथी.. सगणं रावणं हत्वा राघवो रघुनन्दनः / त्वामादाय वरारोहे स्वपुरी प्रतियास्यति // 43 // सी 1 टी स्वपुरम् 2 मे भी राक्षसं हत्वा नचिराद् स्वाम् मे 1 . स्वपुरम् 2 બી नचिराद् 31. स्वां पुरीमभियास्यति / બી 2 બી वरवर्णिनीम् 3. स्वां पुरीम् तद् आश्वसिहि भद्रं ते भव त्वं कालकाङ्क्षिणी न चिराद् द्रक्ष्यसे रामं प्रज्वलन्तमिवानिलम् // 44 // સી 2 એ समास्.....सी.32 क्षिप्रं द्रक्ष्यसि रामेण निहतं रावणं रणे. એ 1 ડી अचिराद् द्रक्ष्यसि पतिं तपन्तमिव भास्करम्