________________ नाम श्रीधर हतुं. अमदाबाद शहेरने आ वखते घणां परां हतां. एमांना 'अजदर पुरा'मां आ कुटुम्ब रहेतुं हतुं. आ श्रीधर वणिकने एमनी पत्नी झमकलदेवीथी चार पुत्रो वस्तुपाल, जिनदास, मंगलदास अने लहुराज अने एक पुत्री लीलावती हता.' आ लहुराज (लहुजी>लवजी ) ते ज आपणा कवि लावण्यसमय, एमनो जन्म वि. सं. 1521 = ई. स. 1465 मां पोष वदि त्रीजना रोज थयो हतो. आ वखते अमदावादमां जैनोनुं प्रभुत्व हतुं. ('गुजरातर्नु पाटनगर : अमदावाद'-रत्नमणिराव भीमराव-पृ. 400 ). अजदरपुर परामां पण जैनोनी वस्ती हती. ( 'गुजरात, पाटनगरः अमदावाद'-रत्नमणिराव भीमराव-पृ. 226 ). जैनोना लत्तामां जैन मन्दिर अने पासे धर्मशाळा ( उपाश्रय ) हतां. आ उपाश्रयमां चातुर्मास रहेला मुनि समयरत्नने श्रीधर वणिके लहुराजना जन्माक्षर देखाड्या. जन्माक्षर जोईने समयरत्ने कयुं, के 'आ बाळक महान तपस्वी, मोटो यति, महा विद्वान के बहु तीर्थयात्रा करनारो थशे... 1. गूजर देस देस नवरंग, पट्टण नगर प्रसिद्धउं चंग, संघ मुख्य श्रीमाली मंग, करइ पुण्य जगि मोटा जंग. 31 दीइ दांन व्यवहारी वादि, तिहांथा आव्या अमदावादि; त्रिणि पुत्र तस कुलशृंगार, प्रथम पुत्र शीधर सुविचार. 32 अजदरपुरि कीधा आवास, झमकलदेवी घरुणी तास; च्यारि पुत्र तेहनइ जिनमति, पंचम पुत्री लीलावती. 33 वस्तुपाल जमलि जिणदास, त्रीजु बंधव मंगलदास, चतुर चंग चउथउ लहराज, तेहनई पुण्य सरिसुं काज. 34 ('विमलप्रबन्ध'-सं. मणिलाल ब. व्यास, सं. 1970) धर्मशाल जिनमन्दिर पाशि, समइरत्नगुरु तिहां चुमाशि, जनमयोग देषाडिउ जशइ, सहिगुरु हृदय विमांसइ तिगइ. 35 संवत 1521 धिन, शके तेर छयाशीउ प्रसन्न, पोष वदी दिन त्रीज पवित्र, आविउ अश्लेषा नक्षत्र. 36 घडी पाछिली जव नव राति, जन्म अर्क ऊगीउ प्रभाति, तुला लग्न सरिसु संकेत, मूरति मंगल जमलु केत; 37 वृश्चिक बुध रवि वीजउ रहिउ, शुक्र मकरि ते चउथइ कहिउ, गुरु शनि कुंभि रह्या पांचमइ, मेषि राहु सोहइ सातमइ. 38 दसमइ चन्द रहिउ निज घरे, जन्मयोग जोइउ सहिगुरे; हृदयस्थलि रवि नक्षत्र वशिउं, सहिगुरि वचन प्रकासिउं इशंः 39 सुणउ श्रेष्टि होशि तपधणी, कइ ए जाशइ तीरथ भणी; कइ ए थाशइ मोदन यती, वर विद्या होशइ दीपती. 40 ('विमलप्रबन्ध')