________________ 212 कल्पलताविवेके प्रा 465882 / प्रा 465889 / 1174 / 1176 / 1187 / 2274 / 2276 / 2287 / 9974 / 9976 / 9987 / प्रा 7366 / प्रा 5774 / प्रा 5776 / प्रा 8774 / प्रा 8776 / तृतीयस्मिन्नौपच्छन्दसके तिसृभिरुदीच्यवृत्तिभिः सह पदचतुष्कयोगे पञ्चविंशतिः / 44163 / 44263 / 44963 / 45663 / 5 48663 / 54663 / 84663 / 14882 / 14889 / 24881 / 24889 / 94881 / 94882 / 41882 / 41889 / 42881 / 42889 / 49881 / 49882 / 56881 / 56882 / 56889 / उ 65881 / उ 65882 / उ 65889 / 10 च सम्भवति दशमे पदे नवमदशमयोस्तदितरस्य वा यथासम्भवं प्रयोगेऽवस्थिते आपात रिंशत् प्राच्यवृत्त्यामष्टावित्येकान्नषष्टिः त्रिरुक्त्या पदचतुष्टययोगे षट् प्राच्यवृत्तौ द्वौ पदपश्वकयोगे द्वाविति दशपदद्वयस्य द्विरुक्त्या पदचतुष्टययोगे एकः प्राच्यवृत्त्यां त्रयः पदपञ्चक योगे त्रयः प्राच्यवृत्तावेकः इत्यष्टौ पदत्रयस्य तथैव पदचतुष्टययोगे प्राच्यवृत्तावेक एकस्य 15 पदस्य द्विरुक्त्याऽपरस्य च त्रिरुक्त्या पदचतुष्टययोगे द्वाविंशत्यशीतिः समुत्पद्यन्ते / 11869 118610 / 22869 / 228610 / 91148 / 92248 / 99183 / 9910148 / 9921048 / 9928610 / 9941083 / 9910483 / 995648 / 998642 / 9910248 / 1991048 / 1998610 / 20 2991048 / 2998610 / 4991083 / 186499 / 286499 / 8110499 / 8310499 / 852499 / 861499 / 862499 / 49101083 / 94101083 / 91010483 / 19101048 / 29101048 / 91010148 / 91101048 / 92101048 / 91010248 / 85101042 / 86101042 / 18641010 / 25 28641010 / 85241010 / 86141010 / 86241010 / 98141010 / 98341010 / प्रा 9661048 / प्रा 8824109 / प्रा 582499 / प्रा 8710499 / 8103499 / प्रा 58101042 / प्रा 58241010 / प्रा 89341010 / 999148 / 999248 / 999483 / 9991083 / 499983 / 910101083 / प्रा 444869 / प्रा