________________ काव्यशिक्षा स्कुभनो(भ्नो)तीति स्कुम्भेन(म)पति सहते तितिक्षते मृषति / क्षाम्यति मृष्यति मृषयति मर्षयति [च] मृष्यते क्षमते // 53 // मर्षयति(ते) मृषयते सहति क्षान्तिवाचिनः / शक्यते शक्यति वाहयत्यपि दुर्वचो वसा // 54 // चर्चयत्यधीतेऽध्येति शिक्षते पठति श्रुतिम् / वर्द्धते स्फायते नन्दत्य॒ध्यते(त्ये)धते प्यायते // 55 // प्रवयते व्याप्रियते व्यापिपर्ति प्रयस्यति / घटते चेष्टते चक्षुः स्पन्दते बहुधा स्फुटम् // 56 // खेदयते खेदयति क्लिश्नाति व्यथ[य]ते च मूलयति / व्यथयति बुन्दति रुजते मूलयते दुःखयति तुदते // 57 // दुःखयते तापयते पीडयते रुजयति / उद्वेजयते दुनोति तापयति पीडयति // 58 // क्लेशयते बाधयते शोषयति बाधयति / क्लेशयति महासत्त्वो धूपायति धूपायते // 59 // धुक्षते धिक्षते क्लाम्यत्युद्वेजयति खिन्दति / व्यथते बाधते क्लिश्यत्याखिद्यते संतपति // 60 // कुन्थति पुन्थति लुन्थत्यवसीदति दूयते / क्लेशति कर्जति क्षन्ते(? ते) खर्जति ग्लायतेतराम् // 61 // स्थीयतेऽौ तु मुरति मुण्डते गुण्डयत्यपि / गुण्डते [च] वेष्टयति कुप्यति स्नायति ध्रुवम् // 62 // वेष्टयते [च] क्षणति चटति स्युः सुचण्डने / धुनोति धुनुते कम्पयते ध्वनयते करम् // 63 // धूनयति कम्पयति धुनीते धुनुते तथा / धुनाति धुनति स्वाङ्गं विधुनाति विधूनने // 64 // आज्ञां ददाति दत्ते संभजति स्वीकरोति गृह्णाति / गृह्णीते संभजते ग्राहयते ग्राहयत्यपि वृणीते // 65 // व्यालोड़यति लोडति लोडयते च मन्थति / विगाहते च स्वजति मध्नाति मथति स्वयम् // 66 // 15 20