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________________ 112] काव्यशिक्षा VO दुःखैनो-व्यसनेऽघः स्याद् मेघस्तु मुस्तकाब्दयोः / दीन-निष्फलयोर्मोघो मोघा स्यात् पाटलातरौ // 11 // श्लाघोपास्तीच्छयोः स्तोत्रेऽर्चा पूजा-प्रतिमास्वपि / कचः शुष्कवणे केशे बन्धे पुत्रे च गीष्पतेः // 12 // काञ्ची गुञ्जा-मेखलयोः पुर्यां क्रौञ्चो द्वीपे खगे। चर्चा स्याच्चममुण्डायां चिन्ता-स्थासकयोरपि // 13 // मोचा शाल्मलि-कदल्योनींचः पामर-खर्वयोः / अजश्छागे हरे विष्णौ रघुजे वेधसि स्मरे // 14 // अब्जो धन्वन्तरौ चन्द्र शङ्खऽब्जं पद्म-संख्ययोः / द्विजो विप्र-क्षत्रिययोर्वैश्ये दन्ते विहङ्गमे // 15 // गुब्जा तु कृष्णलायां स्यात् पटहे मधुरध्वनौ / शिश्ने चिह्न पताकायां ध्वजः पूर्वदिशो गृहे // 16 // शौण्डिकेऽपि च खट्वाङ्गे निजो नित्य-स्वकीययोः / सन्ततौ च प्रजा लोके बले बीजं तु रेतसि // 17 // स्यादाधाने च तत्वे च हेतावङ्करकारणे / भुजो बाहौ करे मर्जूः शुद्धौ च रजकेऽपि च // 18 // राजी रेखायां पङ्क्तौ च रुजा त्वामय-भङ्गयोः / लाजास्तु भृष्टधान्ये स्युर्लाजः स्यादातण्डुले // 19 // उशीरके पुनर्लाजं गोष्ठ-संघा-ऽध्वसु व्रजः / वाणिज्ये करणभेदे वणिय वाणिज्यजीविनि // 20 // व्याजः शाठ्येऽपदेशे च वाजं सर्पिषि वारिणि / यज्ञान्ने वाजस्तु पक्षे मुनौ निस्वन-वेगयोः // 21 // लञ्जः पट्टे च कच्छे च सज्जौ सन्नद्धसम्भृतौ / " यज्ञः स्यादात्मनि मखे नारायण-हुताशयोः // 22 // संज्ञा नामनि गायत्र्यां हस्ताद्यैरर्थसूचने / चेतना-ऽर्कस्त्रियोनं संज्ञा धियां प्रकीर्तिताः // 23 //
SR No.032755
Book TitleKavyashiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaychandrasuri, Hariprasad G Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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